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Govardhan Puja 2023: अगर आप भी हैं गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर कंफ्यूज, तो यहां जानें सही डेट और पूजा का शुभ मुहुर्त

Govardhan Puja 2023: हिंदू धर्म में दिवाली के बाद होने वाली गोवर्धन पूजा का खास महत्व माना जाता है. हर साल गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है, लेकिन इस बार इसे लेकर दुविधा बनी है. ऐसे में जानें कि गोवर्धन पूजा का सही दिन सही समय क्या है.    

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Govardhan Puja 2023: अगर आप भी हैं गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर कंफ्यूज, तो यहां जानें सही डेट और पूजा का शुभ मुहुर्त
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Poonam |Updated: Nov 13, 2023, 11:36 AM IST

Govardhan Puja 2023: हिंदू धर्म में दिवाली को सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. इस त्योहार को हर जाति और धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं. इस साल दिवाली 12 नवंबर यानी कल मनाई गई. इसके साथ ही हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का भी खास महत्व होता है जो दीपावली के अगले दिन की जाती है. वैसे तो हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, लेकिन इस साल लोग गोवर्धन पूजा को लेकर दुविधा में है कि गोवर्धन पूजा आज की जाए तो कल. 

कब की जाएगी गोवर्धन पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आज दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन यानी दोपहर 2 बजकर 36 मिनट तक रहेगा, लेकिन गोवर्धन पूजा आज नहीं की जाएगी. गोवर्धन पूजा कल यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाएगी. 

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कल किस समय की जाएगी गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर सुबह करीब 6 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. गोवर्धन पूजा का शोभन योग 14 नवंबर सुबह 6 बजकर 43 मिनट से दोपहर 1 बजकर 7 मिनट तक रहेगा जबकि अनुराधा नक्षत्र 14 नवंबर सुबह से लेकर 15 नवंबर रात 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. 

क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा
बता दें, गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गोवर्धन यानी गिरिराज की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की पूजा का भी विधान है. कहा जाता है कि गोवर्धन पूजा करने कृष्ण भगवान का आर्शीवाद मिलता है. 

ऐसे करें गोवर्धन पूजा
पहले स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद घर के आंगन या छत पर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं और फिर गोवर्धन महाराज को फूलों से सजाएं. इसके बाद घी का दीप जलाकर उन्हें भोग लगा कर उनकी पूजा करें. पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें. 

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