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Himachal Pradesh News: नदियों में इकट्ठे डिपोसिशन भी बना बाढ का कारण- हर्षवर्धन चौहान

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बारिश के बाद हालात काफी खराब हैं. कई जगहों पर बाढ़ भी आ गई है. ऐसे में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचे.   

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Himachal Pradesh News: नदियों में इकट्ठे डिपोसिशन भी बना बाढ का कारण- हर्षवर्धन चौहान
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Poonam |Updated: Aug 02, 2023, 09:41 PM IST

समीक्षा कुमारी/शिमला: बीते दिन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रभावित इलाके का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने प्रदेश की नदियों में जमा कूड़े-करकट पर भी चिंता व्यक्त की. इस पर प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि बरसात में आई आपदा नदियों में अधिक मात्रा में जमा पढ़े रेत बजरी के कारण आई है. ऐसे में अब प्रदेश में इसका खनन बढ़ाने की आवश्यकता है.

हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का किया धन्यवाद
प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के हिमाचल दौरे की तारीफ की. वहीं 400 करोड़ सीआरएफ जारी करने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्र सरकार का धन्यवाद भी किया. उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश की नदियों में अनावश्यक मात्रा में रेत और पत्थर जमा हो गए हैं, जिसके कारण नदियों के किनारे प्रदेश में ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा और इस पर केंद्रीय मंत्री भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं. 

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नदियों में हर साल इकट्ठा हो जाता है कूड़ा
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि इसे लेकर बीते दिनों उन्होंने एक बैठक भी की. उन्होंने बताया कि प्रदेश की नदियों में हर साल 7.5 करोड़ टन कूड़ा इकट्ठा हो जाता है. प्रदेश सरकार खनन के माध्यम से सिर्फ 60 लाख टन डिपोसिशन निकाल पाती है. इसके अलावा हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि अगर देश में 5 से 7 प्रतिशत इलीगल माइनिंग होने की बात मान भी ली जाए तो भी यह आवश्यकता से कम है. ऐसे में अब तक नदियों में 65 करोड़ टन डिपोसिशन इकट्ठा हो गया है, जिसके चलते नदियों का जल स्तर बढ़ गया है, जिसके दुष्प्रभाव से नदियों ने प्रदेश में भारी तबाही मचाई है.

हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि प्रदेश की नदियों में खनन को बढ़ावा देने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश को 200 से 250 करोड़ का अतिरिक्त रेवेन्यू भी मिल सकता है, लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोड़ा फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के रूप में है. इसके चलते 204 माइनिंग के ऑक्शंस भी फंसे पड़े हैं. ऐसे में इस मामले में एक हाई लेवल कमेटी बनाकर काम करने की जरूरत है.

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