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वेस्ट से बैस्ट तैयार कर कोठी गांव की महिलाओं ने अपनाई आत्मनिर्भरता की राह

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की महिलाएं स्वरोजगार से संबंधित योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी रोजी-रोटी चला रही हैं. ये महिलाएं फिलहाल वेस्ट सामान से राखी बनाकर बाजारों में बेच रही हैं, जिससे इन्हें लाभ भी मिल रहा है.  

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वेस्ट से बैस्ट तैयार कर कोठी गांव की महिलाओं ने अपनाई आत्मनिर्भरता की राह
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Poonam |Updated: Aug 18, 2024, 06:27 PM IST

नीतेश सैनी/मंडी: हिमाचल प्रदेश की महिलाएं प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वरोजगार से संबंधित योजनाओं से लाभ प्राप्त कर आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनने की राह पर अग्रसर हैं. जिला मंडी के उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत डलाह के गांव कोठी की महिलाएं वेस्ट से बैस्ट तैयार कर स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं. स्वयं सहायता समूह के रूप में संगठित यह महिलाएं आचार, बांस से बनीं टोकरी, किरडु के साथ ही राखी के त्योहार के लिए घर के वेस्ट मैटेरियल से राखी बनाने का काम कर रही हैं और बहुत सी राखियां बाजारों में बेच भी चुकी हैं.

समूह की सदस्य कुसमा देवी, अंजली कुमारी और कामेश्वरी देवी का कहना है कि 2011 में समूह का गठन किया गया था, जिसमें 9 सदस्य हैं. पहले वह केवल बचत ही करती थीं, लेकिन बाद में प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें 15 हजार रुपये का रिवाल्विंग फंड मिला और 2500 रुपये स्टार्टअप फंड भी मिला. इसके बाद ग्रुप की महिलाओं ने आय बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे कार्य शुरू किए. समूह की महिलाओं ने मिलकर बांस से बने उत्पाद जैसे टोकरी, किरडु और खाने‌ के लिए बड़ियां व अचार का उत्पादन शुरू किया.

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इन दिनों वह राखी के त्योहार के लिए घर के वेस्ट मैटीरियल से राखी बना रहीं हैं, जिसे पधर में द्रंग ब्लॉक की तरफ से दी गई हिम ईरा शॉप में बिक्री के लिए रखा गया है. आजकल (पधर) द्रंग ब्लॉक में राखी का स्टॉल भी लगाया हुआ है. इन सभी उत्पादों से उन्हें सालाना लगभग 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है, जिससे वह आत्मनिर्भर हो रही हैं. इसके लिए वह प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करती हैं जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर सहायता प्रदान कर रही हैं.

वहीं, खंड विकास अधिकारी विनय चौहान ने कहा कि द्रंग ब्लॉक में 613 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से 15 हजार रुपये रिवाल्विंग फंड और 2500 रुपये स्टार्टअप फंड मिला है. सभी महिलाएं स्वयं समूहों के जरिए आत्मनिर्भर हो रही हैं.

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