समीक्षा कुमारी/शिमला: बदलता मौसम और तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव सामान्य तौर पर शरीर के लिए कई दिक्कतों को पैदा करता है. उसपर आजकल कभी भी होने वाली बारिश स्थिति को और भी चुनौती भरा बना देती है. हिमाचल प्रदेश में ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ी परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों की जो ठंड में सुबह-सुबह स्कूल जाते हैं. ऐसे में उन्हें ठंड से बचाने और अच्छे से देखभाल करना काफी जरूरी है.
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अक्सर माता-पिता यह समझ नहीं पाते कि ठंड के मौसम में बच्चों को किस तरह के कपड़े पहनाए रखे जाने चाहिए. वे या तो बहुत सारे कपड़े पहना देते हैं या फिर कई बार सामान्य पतले कपड़ों में ही बच्चे को रहने देते हैं. ये दोनों ही स्थितियां बच्चे के हिसाब से मुश्किल खड़ी कर सकती हैं. आजकल ज्यादातर पैरेंट्स सिंगल फैमिली के रूप में रहते हैं. ऐसे में उन्हें असरदार पारंपरिक नुस्खे बताने वाला भी कोई नही होता. उसपर छोटे से बच्चे और उसकी देखभाल को लेकर पहले ही उनके मन में कई सवाल चल रहे होते हैं.
ऐसे में IGMC के डॉक्टरों ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी की है. जिसमें डॉक्टरों ने कहा है कि बच्चों को ठंड से बचाने के लिए पेरेंटस को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. IGMC के डिप्टी एमएस और विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया का कहना है कि संक्रमण से लड़ने में पोषक तत्व की अहम भूमिका होती है. बच्चों को संतरे, स्ट्रॉबेरी, टमाटर और ब्रोकली जैसे विटामिन C वाले सिट्रस फल खाने को दें. ये फल और सब्जियां सर्दी-जुकाम से बचाने का काम करती हैं. ठंड लग भी जाएं तो विटामिन C बच्चों की जल्दी रिकवरी करता है.
विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि नवजात को ठंड में उल्टी दस्त लगने का ज्यादा खतरा होता है. दस्त के साथ बच्चे के शरीर से बहुत पानी निकल जाता है. इसी कारण बच्चे को अधिक प्यास लगती है, कमजोरी महसूस होती है. वहीं बाथरूम में भी कमी हो जाती है. जीभ, मुंह में खुश्की, त्वचा में ढीलापन, सांस नाडी की गति सामान्य से तेज, तालू आंखें धंसने लगती है. इसलिए नवजात को मां के दूध के अलावा ओआरएस और बार बार पानी देना बेहद जरूरी है.
वहीं, सर्दी-जुकाम या बुखार होने पर बच्चे सुस्त हो जाते हैं और खाना-पीना छोड़ देते हैं. ठंड न लगे इसलिए बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ानी बहुत जरूरी है. डॉक्टरों की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक जो बच्चे पूरी नींद नहीं लेते हैं, उनमें सर्दी-जुकाम जैसी बीमारी होने की संभावना अधिक होती है. ऐसे में बच्चों के सोने का समय तय कर लें.
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