Home >>Zee PHH Agriculture

हिमाचल के किसानों को पुरानी तकनीक से बने औजारों से खेती करने पर मिल रही तरक्की

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आज भी लोग खेती करने के लिए पुरानी तकनीक से बने औजारों का इस्तेमाल करते हैं. यह औजार वो हैं जो आज केवल किताबों में ही देखने को मिलते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इन औजारों का इस्तेमाल करने पर खेती में तरक्की मिलती है.  

Advertisement
हिमाचल के किसानों को पुरानी तकनीक से बने औजारों से खेती करने पर मिल रही तरक्की
Stop
Zee News Desk|Updated: Sep 06, 2022, 10:29 AM IST

ज्ञान प्रकाश/सिरमौर: सिरमौर जिले के गिरी पार पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों ने औजार बनाने के प्राचीन तरीकों को आज भी संजोहकर रखा है. इस मशीनी युग में पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी स्थानीय लोहार मशक यानी धौंकनी (भस्त्रिका) से शोले जगाकर, हथोड़े से लोहा पीट-पीटकर औजार दरांत, तलवार और परशु जैसे औजार बनाते हैं. 

काफी पुरानी है लोहा पीटकर औजार बनाने की तकनीक
धौंकनी और इससे आग के शोले भड़काकर लोहा गर्म करने की तकनीकी की तस्वीरें या तो किताबों में मिलती हैं या सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में मिलती हैं. इन क्षेत्रों में आज भी लोहे के औजार बनाने के लिए इसी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. अत्याधुनिक मशीनों के इस दौर में पहाड़ी क्षेत्रों के लोग औजार बनाने की प्राचीन तकनीक संजोकर रखे हुए हैं. हालांकि यहां के लोग मशीनों से बने औजार खरीदने में सक्षम हैं, लेकिन फिर भी ये लोग इन्हीं औजारों का इस्तेमाल करते हैं. 

ये भी देखें- Adhbhut Himachal: वह नदियां जहां बिना आग के पानी में बन जाता है खाना, हैरत में हैं लोग

क्यों करते हैं पुरानी तकनीक का इस्तेमाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तकनीक से बने औजारों से खेती करके बरकत होती है. यही वजह है कि आज भी लोग पहाड़ी क्षेत्रों में लोहार की मशक वाली भट्टी में लोहा तपाकर औजार बनाते हैं और अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. बरसात के दिनों में हर साल लोहार का आरण लगाया जाता है. ऐसे में गांव के लोग बारी-बारी अपने औजार बनाने के लिए आते हैं. जिले के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायम है.

ये भी पढ़ें- Himachal special food: हिमाचल की इन डिश का नहीं लिया मजा तो आपने कुछ नहीं खाया

बाजारों से बेहतर होते हैं प्राचीन तकनीक से बनाए औजार
लोगों का कहना है कि औजार बनाने की प्राचीन तकनीक उनकी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है. लोहार की भट्टी में हाथ से बनाए औजारों से खेती में बरकत आती है. यह औजार और बाजार के औजारों से ज्यादा बेहतर होते हैं. इस क्षेत्र के युवाओं का कहना है कि उनके बुजुर्ग उन्हें सीख देकर गए हैं कि खेते जोतने और खेती संबंधित कार्यों के लिए लोहार से बनाएं औजारों का ही इस्तेमाल करें.

WATCH LIVE TV

Read More
{}{}