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US Presidential Debate: अमेरिका के प्रेसिडेंशियल डिबेट का रोचक किस्सा, इसे हारने पर निक्सन को क्यों पड़ी थी गालियां?

US Presidential Debate History: राष्ट्रपति चुनाव के लिए अमेरिका में प्रेसिडेंशियल डिबेट हुआ. इसमें कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कई अहम मुद्दों पर बहस हुई. दोनों ने अपने-अपने स्टैंड क्लियर किए. इसका इतिहास काफी पुराना है, आइए जानते हैं.

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US Presidential Debate: अमेरिका के प्रेसिडेंशियल डिबेट का रोचक किस्सा, इसे हारने पर निक्सन को क्यों पड़ी थी गालियां?

नई दिल्ली: US Presidential Debate History: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया लगातार आगे बढ़ रही है. डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच गर्मागर्म प्रेसिडेंशियल डिबेट हुआ. इसमें दोनों ने एक-दूसरे पर कई आरोप लगाए, कई मुद्दों पर अपना स्टैंड स्पष्ट किया. दुनिया के तमाम अखबारों और न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर इसकी खबरें प्रकाशित हो रही हैं. आखिर प्रेसिडेंशियल डिबेट का महत्व इतना क्यों है, इसका इतिहास क्या रहा है?

जब लिंकन और डगलस के बीच हुआ डिबेट
सबसे पहला डिबेट अब्राहम लिंकन और स्टीफन डगलस के बीच साल 1858 हुआ था. ये प्रेसिडेंशियल डिबेट तो नहीं था, लेकिन सीनेटरियल बहस थी. इसमें न कोई मध्यस्थ था और न ही पैनल था. लिंकन और डगलस के बीच तीन घंटे तक बहस चली थी. दोनों संयुक्त राज्य सीनेट के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे. इस डिबेट में लिंकन जीते और डगलस की हार हुई. फिर लिंकन एक नामी शख्सियत बने, अमेरिका में उनका राजनीतिक रुतबा बढ़ा. लिंकन साल 1860 में राष्ट्रपति बने.

पहली ऑफिसियल डिबेट का किस्सा
लिंकन और डगलस की डिबेट से आइडिया लेते हुए 102 साल बाद 1960 में पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई. इसमें जॉन एफ कैनेडी और रिचर्ड निक्सन का आमना सामना हुआ था. ये डिबेट US जनरल इलेक्शन के लिए पहली बार हुई. इस बहस को टीवी स्टूडियो में कराया गया था. ये CBS, NBC और ABC पर प्रसारित हुआ. जिन लोगों ने TV पर इस बहस को देखा, उन्हें कैनेडी कैंडिडेट के तौर पर पसंद आए. निक्सन के खराब प्रदर्शन पर उनके रनिंगमेट और रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार खफा हुए. उन्होंने निक्सन को गाली देते हुए कहा- 'इस कुत्ते के बच्चे की वजह से हम चुनाव हारेंगे.'

कौन तय करता है हार-जीत?
जब डिबेट हो जाती है, तो उसके बाद रिजल्ट डिक्लेयर किया जाता है. बेहतर प्रदर्शन करने वाला विजेता होता है. न्यूज चैनल और पॉलिटिकल एक्सपर्ट डिबेट पर अपनी राय देते हैं. सर्वे एजेंसियां डिबेट के बाद ओपिनियन पोल करती हैं, इसमें दर्शक अपनी राय देते हैं. सोशल मीडिया पर दर्शकों का रिएक्शन जाना जाता है. वोटिंग इंटेंशन सर्वे होते हैं, इनमें पूछा जाता है कि डिबेट के आधार पर वे किसे वोट करेंगे. सबकी राय लेने के बाद विजेता की घोषणा कर दी जाती है.

प्रेसिडेंशियल डिबेट का इतना महत्व क्यों?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव किन मुद्दों पर होगा, इसका मोटा-मोटा अंदाजा प्रेसिडेंशियल डिबेट लग जाता है. इस डिबेट में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी अलग-अलग विषयों पर अपने विचार रखते हैं. फिर जनता ये तय करती है कि उन्हें किस मुद्दे पर किस प्रत्याशी के विचार पसंद आए हैं, इसी के आधार पर फिर वे वोट भी करते हैं. पिछले प्रेसिडेंशियल डिबेट में जो बाइडेन ट्रंप से हारे थे. इस दौरान बाइडेन की बॉडी लैंग्वेज देखकर लोगों को ये शक भी हुआ कि उनकी मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है, आखिरकार उन्होंने प्रेसिडेंशियल रेस से बाहर होने का फैसला किया.

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