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दो दोस्त अब चांद पर बनेंगे पड़ोसी, भारत के बाद इस देश ने भी लॉन्च किया मून मिशन

रूस ने शुक्रवार को 47 साल बाद चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान रवाना किया. इससे पहले साल 1976 में चांद पर अपना मिशन भेजा था. रूस ने आज सुबह 8.10 बजे लॉन्च किया. रूस के मून मिशन लूना-25 को सोयुज 2.1 बी रॉकेट से लॉन्च किया गया. बताया जा रहा है कि लूना 25 आगामी 21 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा.

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दो दोस्त अब चांद पर बनेंगे पड़ोसी, भारत के बाद इस देश ने भी लॉन्च किया मून मिशन

नई दिल्लीः रूस ने शुक्रवार को 47 साल बाद चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान रवाना किया. इससे पहले साल 1976 में चांद पर अपना मिशन भेजा था. रूस ने आज सुबह 8.10 बजे लॉन्च किया. रूस के मून मिशन लूना-25 को सोयुज 2.1 बी रॉकेट से लॉन्च किया गया. बताया जा रहा है कि लूना 25 आगामी 21 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा.

लूना-25 के लिए रूस में ही की गई है पूरी तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लूना-25 लैंडर को रूस में बनाया गया है. पहली बार है जब रूस ने इस मिशन की तैयारी पूरी तरह से अपने देश में की है. जिस सोयुज 2.1 बी रॉकेट से मिशन लॉन्च किया गया है उसकी लंबाई करीब 46.3 मीटर है जबकि उसका वजन लगभग 313 टन है. इस मिशन को लूना ग्लोब मिशन भी कहते हैं. इससे पहले सितंबर 1958 और अगस्त 1976 के बीच 24-लूना मिशन लॉन्च कर चुका है.

 

चंद्रयान-3 से दो दिन पहले लैंड कर जाएगा लूना-25
कहा जा रहा है कि अगर लूना-25 सफलता से चांद पर उतरता है तो यह चंद्रयान-3 से दो दिन पहले लैंड कर जाएगा. बता दें कि अब तक चांद पर सोवियत संघ, अमेरिका और चीन सफल लैंडिंग कर पाए हैं. वहीं रूस और भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले पहुंचने का लक्ष्य बनाया है.

भारत की भी हैं सॉफ्ट लैंडिंग पर निगाहें
इससे पहले भारत ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की उपलब्धि हासिल करने की कोशिश में चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजा है. 1976 के बाद पहली बार चंद्रमा पर अपने ‘लूना-25’ यान को भेजने वाले रूस ने इसकी लॉन्चिंग यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद के बिना की है. क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद मॉस्को के साथ अपना सहयोग समाप्त कर दिया है. 

पहले छोटे मून रोवर को ले जाने की थी तैयारी
रिपोर्ट्स के अनुसार, लूना-25 शुरू में एक छोटे मून रोवर को ले जाने के लिए तैयार किया गया था लेकिन बाद में स्पेसक्राफ्ट के वजन को कम नहीं करने का फैसला लिया गया. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा कि वह यह दिखाना चाहती है कि रूस चंद्रमा पर पेलोड पहुंचाने में सक्षम है और चांद की सतह पर पहुंचने की गारंटी देता है.

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