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Israel Hamas War: भारत ने फिलिस्तीन के समर्थन वाले प्रस्ताव से बनाई दूरी, तो क्या बदल गया है नई दिल्ली का स्टैंड?

Israel Hamas War: भारत ने फिलिस्तीन मुद्दे का समर्थन करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से दूरी बनाई है. शुक्रवार को प्रस्ताव पर भारत ने मतदान से इसलिए परहेज किया, क्योंकि इसमें हमास के आतंकवादी हमले की निंदा नहीं की गई थी. महासभा ने नई दिल्ली द्वारा समर्थित एक संशोधन को खारिज कर दिया, जिसमें आतंकवादी समूह का नाम दिया गया था.

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Israel Hamas War: भारत ने फिलिस्तीन के समर्थन वाले प्रस्ताव से बनाई दूरी, तो क्या बदल गया है नई दिल्ली का स्टैंड?

नई दिल्लीः Israel Hamas War: भारत ने फिलिस्तीन मुद्दे का समर्थन करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से दूरी बनाई है. शुक्रवार को प्रस्ताव पर भारत ने मतदान से इसलिए परहेज किया, क्योंकि इसमें हमास के आतंकवादी हमले की निंदा नहीं की गई थी. महासभा ने नई दिल्ली द्वारा समर्थित एक संशोधन को खारिज कर दिया, जिसमें आतंकवादी समूह का नाम दिया गया था.

'आतंकियों के खिलाफ एकजुट हों'
भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान के बाद कहा, 'इजरायल में 7 अक्टूबर को हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदनीय हैं.' उन्होंने कहा, 'दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए. आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवादियों के प्रति शून्य सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं.'

इजराइल-हमास संघर्ष में संघर्ष विराम और गाजा के लोगों को सहायता प्रदान करने का आह्वान करने वाला प्रस्ताव 120 वोटों से पारित हुआ, जबकि इसके खिलाफ 14 वोट पड़े और 45 देश अनुपस्थित रहे. इससे इसे उपस्थित और मतदान करने वालों का दो-तिहाई बहुमत मिला.

हमले की निंदा के प्रस्ताव का किया समर्थन
भारत ने कनाडा द्वारा लाए गए प्रस्ताव में संशोधन का समर्थन किया, जिसमें हमास का नाम था और उसके हमले की निंदा की गई थी, लेकिन यह पारित होने में विफल रहा. इसके पक्ष में 88 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ 54 वोट पड़े, 23 अनुपस्थित रहे. पटेल ने कहा, 'आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती.'

आतंक के खिलाफ स्पष्ट संदेश जाने की उम्मीदः पटेल
उन्होंने कहा, 'हमास के हमले इतने बड़े पैमाने और तीव्रता के थे कि यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है. राजनीतिक उद्देश्यपूर्ण उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा, अंधाधुंध क्षति पहुंचाती है, और किसी भी टिकाऊ समाधान का मार्ग प्रशस्त नहीं करती है.' उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट का समाधान करते हुए कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा.'

असेंबली का प्रस्ताव केवल प्रतीकात्मक है, क्योंकि सुरक्षा परिषद के विपरीत उसके पास इसे लागू करने की शक्ति नहीं है.

क्या बदल गया है भारत का स्टैंड?
कुछ हलकों से यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या फिलिस्तीन को लेकर भारत का स्टैंड बदल गया है लेकिन भारत के हालिया बयानों से ऐसा नहीं लगता है क्योंकि न सिर्फ भारत ने फिलिस्तीन को मदद जारी रखी है बल्कि पीएम मोदी ने फिलिस्तीन प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास से भी पिछले दिनों बात की थी. 

हमास को लेकर भारत का रुख साफ
यही नहीं पटेल ने भी संघर्ष को खत्म करने के लिए दो-राष्‍ट्र समाधान के लिए भारत के समर्थन को भी दोहराया है. दो-राष्‍ट्र समाधान में इजरायल और फिलिस्तीन स्वतंत्र, संप्रभु राज्यों के रूप में एक साथ रहेंगे. हालांकि भारत ने हमास की कार्रवाइयों की निंदा की है और आतंक के खिलाफ किसी भी तरह की रियायत न देने की बात की है.

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