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पाकिस्तान को आईएमएफ ने दी चेतावनी, देश में बिगड़ने वाला है माहौल?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को चेताया है. देश में मुद्रास्फीति को लेकर विरोध प्रदर्शन हो सकता है.

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पाकिस्तान को आईएमएफ ने दी चेतावनी, देश में बिगड़ने वाला है माहौल?

नई दिल्ली: पाकिस्तान की मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ रही है. अगस्त में महंगाई दर 47 साल के उच्चतम स्तर 27 प्रतिशत से अधिक थी. इसको लेकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने देश में विरोध और अस्थिरता के खिलाफ चेतावनी दी है.

सामाजिक विरोध और अस्थिरता को मिलेगा बढ़ावा
एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत जारी सातवीं और आठवीं समीक्षाओं के कार्यकारी सारांश में आईएमएफ के हवाले से द न्यूज ने कहा, खाद्य और ईंधन की ऊंची कीमतें सामाजिक विरोध और अस्थिरता को बढ़ावा दे सकती हैं.

द न्यूज ने आगे कहा, बहुत जटिल घरेलू और बाहरी वातावरण को देखते हुए जोखिम काफी ऊंचा है.
द न्यूज ने बताया है कि, यूक्रेन में युद्ध के चलते खाद्य और ईंधन की उच्च कीमतों का दबाव पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
द न्यूज की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, नीतिगत चूक एक जोखिम बनी हुई है, जैसा कि वित्त वर्ष 2012 में देखा गया जो कमजोर क्षमता और निहित स्वार्थों के कारण है. ऊपर से चुनाव को लेकर बनी हुई अनिश्चितता इसे और बढ़ाएगी.

सामाजिक-राजनीतिक दबाव अधिक रहने की उम्मीद
विरोध प्रदर्शनों के जोखिमों के अलावा, सामाजिक-राजनीतिक दबाव अधिक रहने की उम्मीद है. नीति और सुधार कार्यान्वयन पर भी असर पड़ सकता है, विशेष रूप से कमजोर राजनीतिक गठबंधन और संसद में उनके कम बहुमत को देखते हुए.

यह सब नीतिगत निर्णयों को प्रभावित कर सकता है और कार्यक्रम की वित्तीय समायोजन रणनीति को कमजोर कर सकता है, मैक्रो-वित्तीय और बाहरी स्थिरता और ऋण स्थिरता को खतरे में डाल सकता है.

द न्यूज ने बताया है कि, इसके अलावा निकट अवधि में घरेलू वित्तपोषण की बढ़ी हुई जरूरतें वित्तीय क्षेत्र की अवशोषण क्षमता को बढ़ा सकती हैं और बाजार में व्यवधान पैदा कर सकती हैं.

पाकिस्तान के लिए पैदा हो सकते हैं नए जोखिम
आईएमएफ ने कहा कि, उच्च ब्याज दरों, अपेक्षा से अधिक मंदी, विनिमय दर पर दबाव, नए सिरे से नीति उलट, कमजोर मध्यम अवधि की वृद्धि, और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों से संबंधित आकस्मिक देनदारियों से पर्याप्त जोखिम उत्पन्न होते हैं.

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि, पीटीआई की पूर्व सरकार ने फरवरी के अंत में चार महीने का 'राहत पैकेज' दिया, और पहले किए गए राजकोषीय अनुशासन के प्रति प्रतिबद्धताओं को उलट दिया.

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