नई दिल्ली: अरबपति और टेस्ला के मालिक एलन मस्क की स्टार्टप कंपनी न्यूरालिंक ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है. बता दें कि उनकी इस कंपनी ने ह्यूमन ब्रेन पर एक चिप इंप्लांट किया है. इस बात की जानकारी मस्क ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट 'X'पर खुद दी है. इसको लेकर कंपनी काफी लंबे समय से प्रयास कर रही थी, जिसके बाद कंपनी को सिंतबर में US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से टेस्टिंग के लिए मंजूरी मिल गई थी.
ट्वीट कर दी जानकारी
एलन मस्क ने X पर एक पोस्ट के जरिए लिखा, ' न्यूरालिंक की ओर से पहली बार मनुष्य के मस्तिष्क पर रविवार को चिप इंप्लांट किया गया. अब उसकी हालत में सुधार हो रहा है.
The first human received an implant from @Neuralink yesterday and is recovering well.
— Elon Musk (@elonmusk) January 29, 2024
Initial results show promising neuron spike detection.
' उन्होंने आगे लिखा,' शुरुआती परिणाम आशाजनक न्यूरॉन स्पाइक का पता लगाते हैं.'
दिमाग और कंप्यूटर के बीच होगा कम्यूनिकेशन
बता दें कि न्यूरालिंक की टेक्नीक मुख्य रूप से लिंक नाम के एक प्रत्यारोपण के जरिए काम करेगी. 5 सिक्कों के आकार की यह डिवाइस इंसान के दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेशन का चैनल बनाएगा. एलन मस्क ने अपने दूसरे पोस्ट में लिखा,' इस डिवाइस की मदद से आप सिर्फ सोचने मात्र से फोन-कंप्यूटर और इनके जरिए किसी भी दूसरे डिवाइस को कंट्रोल कर पाएंगे.'
Enables control of your phone or computer, and through them almost any device, just by thinking.
— Elon Musk (@elonmusk) January 30, 2024
Initial users will be those who have lost the use of their limbs.
Imagine if Stephen Hawking could communicate faster than a speed typist or auctioneer. That is the goal.
इसमें शुरुआती यूजर वो होंगे जिनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया है. सोचो अगर स्टीफन हॉकिंग होते तो वह इस डिवाइस के जरिए एक स्पीड टाइपिस्ट या नीलामीकर्ता की तुलना में ज्यादा तेजी से कम्यूनिकेट कर पाते.' पहले न्यूरोलिंक प्रोडक्ट को टेलीपेथी नाम दिया गया है.
कैसे करता है काम?
बता दें कि न्यूरालिंक की यह डिवाइस दिमाग और मोबाइल को आपस में जोड़ने का काम करती है. इस चिप में की सारे इलेक्ट्रोड वायर होते हैं. इन्हें माइक्रॉन स्केल थ्रेड्स कहा जाता है, जो ब्रेन के न्यूरॉन सिग्नल को प्रोसेस करने का काम करते हैं. इसके बाद सारा डाटा आगे न्यूरालिंक ऐप में जाता है. यहां पर सॉफ्टवेयर डाटा को डिकोड करता है और उसके हिसाब से एक्शन लेता है.
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