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अगर दिवालिया हो जाए बैंक तो आपके पैसों का क्या होगा? जानें क्या है भारत में नियम

Bank rule of Bankruptcy: पिछले कुछ दिनों में यूरोप और अमेरिका में कई बड़े बैंकों के बंद होने की खबरें सामने आई हैं. वैश्विक मंदी के बीच अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट बना हुआ है और जहां कई बैंक बंद हो चुके हैं तो कई ऐसे बैंक भी हैं जो कि डूबने की कगार पर हैं. ऐसे में जो सबसे बड़ा सवाल है वो यह है कि बैंकों में जिन ग्राहकों के पैसे जमा है उनके पैसों का क्या होगा.

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अगर दिवालिया हो जाए बैंक तो आपके पैसों का क्या होगा? जानें क्या है भारत में नियम

Bank rule of Bankruptcy: पिछले कुछ दिनों में यूरोप और अमेरिका में कई बड़े बैंकों के बंद होने की खबरें सामने आई हैं. वैश्विक मंदी के बीच अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट बना हुआ है और जहां कई बैंक बंद हो चुके हैं तो कई ऐसे बैंक भी हैं जो कि डूबने की कगार पर हैं. ऐसे में जो सबसे बड़ा सवाल है वो यह है कि बैंकों में जिन ग्राहकों के पैसे जमा है उनके पैसों का क्या होगा. क्या बैंक के डूबने के साथ ही ग्राहकों की जमापूंजी भी डूब गई है या फिर उनका पैसा वापस मिलेगा.

बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को कितना पैसा कब और कैसे वापस मिलता है. कोई बैंक किस स्थिति में दिवालिया होता है और इसको लेकर भारत में क्या कानून है. आइये इन सब सवालों का जवाब इस लेख में जानने की कोशिश करते हैं.

कैसे दिवालिया होता है एक बैंक

मौजूदा दौर में अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक से लेकर यूरोप का फर्स्ट रिपब्लिक बैंक समेत करीब आधा दर्जन बैंक दिवलिया घोषित किए जा चुके हैं. ऐसे में बैंकों के दिवालिया होने को लेकर सवाल उठता है कि ये कब और क्यों होता है. तो जवाब है कि जब किसी बैंक की निर्भरता उसके पास मौजूद एसेट्स से ज्यादा हो जाए तो उस स्थिति में बैंक को दिवालिया घोषित किया जाता है. आसान भाषा में कहें तो जब बैंक के खर्चे उसकी कमाई से ज्यादा बढ़ जाए तो उस स्थिति में बैंक को लगातार नुकसान झेलना पड़ता है और दिवालिया घोषित किया जाता है.

आमतौर पर ये चीजें तब होती  हैं जब ग्राहक बैंकों से लोन या क्रेडिट लेना बंद कर देते हैं और सिर्फ पैसे जमा करते हैं. निवेश में भी बैंक कुल पैसे का कुछ हिस्सा ही लगा सकता है, ऐसे में जब उसके लिये अपना खर्च निकाल पाना भी मुश्किल हो जाए तो रेग्युलेटर्स बैंक को बंद करने का फैसला ले सकते हैं. बैंक चाहे सरकारी हो या फिर प्राइवेट लगभग सभी इसी प्रक्रिया के तहत काम करते हैं.

भारत में ग्राहकों को मिलती है इतनी रकम

ऐसे में जब बैंक डूबता है तो ग्राहकों को सबसे ज्यादा झटका लगता है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई जमा की होती है. भारी निकासी के चलते ये बैंक तेजी से बंद हो जाते हैं. बैंकों के डूबने पर ग्राहकों के पैसे खतरे में न पड़े इससे बचने के लिये आरबीआई ने 60 के दशक में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस का नियम बनाया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) नियम के तहत ग्राहकों को उनकी जमा राशि पर कवर देती है.

4 फरवरी 2020 तक इस नियम के तहत भारत में ग्राहकों को सिर्फ एक लाख रुपये की ही रकम दी जाती थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है. आसान भाषा में अगर आपके खाते में 10 लाख या उससे ज्यादा की रकम जमा है और अगर आपका बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपको सिर्फ 5 लाख रुपये ही मिलेंगे. 2020 तक यह गारंटीड रकम सिकम सिर्फ एक लाख ही होती थी.

मौजूदा सरकार ने किया नियम में बदलाव

केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार ने आरबीआई के इस नियम में संसोधन करते हुए गारंटीड रकम को बढ़ाया है. इसके तहत जिस तारीख को बैंक को दिवालिया घोषित कर लाइसेंस रद्द किया जाता है या फिर जिस दिन बैंक खुद के बंद होने का ऐलान करता है, उस दिन आपके खाते में जमा कुल राशि में से अधिकतम 5  लाख रुपये ही मिल सकते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आपके खाते में 5 लाख जमा हैं तो आपको वो पूरे पैसे मिल जाएंगे. अगर आपके खाते में 5 लाख रुपये ही जमा हैं तो आरबीआई बैंक के पास उपलब्ध ग्राहकों की संख्या के आधार पर गारंटीड रकम की सीमा तय कर सकता है.

कितने दिन में मिलती है इंश्योर्ड रकम

आरबीआई की तरफ से ग्राहकों को मिलने वाले इस डिपोजिट इंश्योरेंस के तहत सेविंग्स, करेंट और रेकरिंग समेत हर तरह के डिपॉजिट अकाउंट शामिल होते हैं. अगर आपका बैंक डूब जाता है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस के तहत ग्राहकों को 90 दिन के अंदर इंश्योर्ड रकम मिल जाती हैं. बैंक बंद होते ही दिवालिया हुए बैंक को पहले 45 दिन के अंदर इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को सौंपा जाता है और समाधान का इंतजार किए बगैर 90 दिन के अंदर प्रक्रिया पूरी हो जाती है.

लंबा रहा है बैंकों के डूबने का रिकॉर्ड

गौरतलब है कि अमेरिका की तरह ही भारत के भी बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल मच चुकी है और यस बैंक, लक्ष्मी निवास बैंक और पीएमसी इसके ताजा उदाहरण हैं. हालांकि आरबीआई की नीतियों और सरकार की बैंकों की विलय नीति के चलते ये बैंक डूबने से बच गये थे. लेकिन अमेरिका में बैंकों के दिवालिया होने का रिकॉर्ड पुराना है. साल 2010 में जब पहली बार वैश्विक मंदी आई थी तब अमेरिका के करीब 157 बैंक दिवालिया हुए थे और अब तक के इतिहास में तकरीबन 500 से ज्यादा बैंक डूब चुके हैं.

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