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कैंसर को दोबारा फैलने से बचाएगी 100 रुपये की ये 'देसी दवाई', कीमोथेरेपी का साइड इफेक्ट भी होगा 50% कम

रिसर्चर्स के मुताबिक उन्होंने कैंसर की इस दवाई को लेकर 10 साल तक रिसर्च किया है. उनका दावा है कि यह दवाई कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट्स के साइड इफेक्ट्स को 50 प्रतिशत तक कम कर सकती है.  

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कैंसर को दोबारा फैलने से बचाएगी 100 रुपये की ये 'देसी दवाई', कीमोथेरेपी का साइड इफेक्ट भी होगा 50% कम
Shruti Kaul |Updated: Feb 28, 2024, 04:00 PM IST

नई दिल्ली:  कैंसर का शुरूआती स्टेज में पता लगने से इसका इलाज आसान हो जाता है, लेकिन वक्त रहते अगर इसका पता न चले तो इससे बचना भी काफी मुश्किल हो जाता है. कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने एक गोली बनाई है. यह दवाई कैंसर का इलाज करने के साथ ही दूसरी बार इसके फैलने के खतरे को भी कम कर सकती है. 

कम होगा कीमोथेरेपी का साइड इफेक्ट 
रिसर्चर्स के मुताबिक उन्होंने कैंसर की दवाई को लेकर 10 साल तक रिसर्च की है. उनका दावा है कि यह दवाई कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट्स के साइड इफेक्ट्स को 50 प्रतिशत तक कम कर सकती है. वहीं यह किसी मरीज में दूसरी बार कैंसर को फैलने से रोकने में 30 प्रतिशत तक मदद कर सकती है. यह फेफड़े, मुंह और पेनक्रियाज के कैंसर में असरदार साबित हो सकता है. बता दें कि टाटा के डॉक्टर 10 साल से इस टैबलेट पर काम कर रहे थे. आखिरकार डॉक्टर को इसमें सफलता मिल ही गई.   

चूहों पर किया गया टेस्ट 
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. राजेंद्र बडवे का कहना है कि रिसर्च के लिए चूहों पर टेस्ट किया गया. इसमें ह्यूमन कैंसर सेल्स को चूहों के अंदर डाला गया, जिससे उनमें ट्यूमर बन गया. इसके बाद कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी  के साथ इलाज करके यह पता लगाया कि कैंसर सेल्स के मरने पर यह छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं. इन्हें क्रोमैटिन कण कहा जाता है. ये कण ब्लड फ्लो के जरिए शरीर के बाकी हिस्सों में जा सकते हैं और हेल्दी सेल्स में प्रवेश करके उन्हें कैंसरग्रस्त बना देते हैं. डॉक्टरों ने इस समस्या का समाधान पाने के लिए चूहों को रेसवेरेट्रॉल और तांबा कंबाइंड प्रो ऑक्सीडेंट टैबलेट दी. इस टैबलेट की मदद से क्रोमेटिन कण के असर को रोकने में मदद मिली. 

जल्द होगी बाजार में उपलब्ध 
बता दें कि टैबलेट को  भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ( FSSAI) से मंजूरी का इंतजार है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने FSSAI के पास एप्लीकेशन भी भेजा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक दवाई जून-जुलाई से बाजार में उपलब्ध हो सकती है. इसकी कीमत मात्र 100 रुपये है.  

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च  पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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