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Happy Lohri: लोहड़ी का पर्व आज, जानें- क्यों है ये त्योहार पंजाबियों के लिए खास?

Lohri Importance: लोहड़ी के उत्सव से जुड़ा एक विशेष महत्व यह है कि इस दिन, सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है. वहीं, लोहड़ी के उत्सव को 'दुल्ला भट्टी' के लिए भी मनाया जाता है. भट्टी पंजाब क्षेत्र का एक स्थानीय नायक था और मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान आम लोगों के लिए काम करता था और उन्हें पंजाब का 'रॉबिन हुड' माना जाता था.

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Happy Lohri: लोहड़ी का पर्व आज, जानें- क्यों है ये त्योहार पंजाबियों के लिए खास?

Lohri Importance: लोहड़ी मुख्य रूप से पंजाब व उत्तरी क्षेत्र में सिख और हिंदू समुदायों के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है. लोहड़ी किसानों के लिए भी बड़ा त्योहार है, जहां नई फसल को आग में चढ़ाकर परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. यह पर्व मकर संक्रांति से एक रात पहले मनाया जाता है. लोहड़ी वह समय है जब पृथ्वी सूर्य के सबसे करीब होती है, इसलिए यह त्योहार सर्दियों के खत्म होने और नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है.

इतिहास और महत्व
लोहड़ी के उत्सव से जुड़ा एक विशेष महत्व यह है कि इस दिन, सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है. वहीं, लोहड़ी के उत्सव को 'दुल्ला भट्टी' के लिए भी मनाया जाता है. भट्टी पंजाब क्षेत्र का एक स्थानीय नायक था और मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान आम लोगों के लिए काम करता था और उन्हें पंजाब का 'रॉबिन हुड' माना जाता था. वह गरीबों की मदद के लिए अमीरों से पैसे निकल जाता था. उन्होंने खासतौर पर युवा लड़कियों के एक ग्रुप क बेचे जाने से भी बचाया था.

वह लड़कियों की शादी गांव के लड़कों से कराता था और चोरी करके लूटे गए माल से उनकी तरफ से दहेज देता था. इन लड़कियों में सुंदरी और मुंदरी भी शामिल थीं, जो अब पंजाब के लोकगीत सुंदरी मुंदरिए से जुड़ गई हैं.

लोहड़ी पर, 'दुल्ला भट्टी' मनाया जाता है और उनके सम्मान में विभिन्न गीत और नृत्य किए जाते हैं. पंजाबी लोककथाओं के अनुसार, लोक गीत, सुंदरी मुंदरिए का उन महिलाओं के दिलों में एक विशेष स्थान है जो दुल्ला भट्टी या पिंडी भट्टियां के अब्दुल्ला की कहानियां सुनकर बड़ी हुई हैं.

यह त्योहार सूर्य देवता को भी समर्पित है, क्योंकि इस दिन लोग ठंड के दिनों के बाद सूर्य के लौटने की उम्मीद करते हैं और उनसे गर्मी और धूप की मांग करते हैं.

उत्सव
हर साल लोहड़ी का त्योहार पारंपरिक अलाव के साथ मनाया जाता है. स्वस्थ फसल के लिए भगवान से प्रार्थना करने के साथ-साथ, जिससे परिवारों में समृद्धि आई है, लोग अलाव में मूंगफली, गुड़ की रेवड़ी और मखाना भी चढ़ाते हैं और फिर लोकप्रिय लोक गीत गाते हुए उसके चारों ओर नृत्य करते हैं. यह अग्नि देवता को प्रसन्न करने का एक कार्य है.

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