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आयरन की कमी से पीड़ित हैं 90 प्रतिशत भारतीय युवतियां, गर्भवती महिलाओं को भी है खतरा

डॉक्टर का कहना है कि महिलाओं को शरीर में आयरन के पर्याप्त स्तर को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उचित पोषण शिक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है.   

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आयरन की कमी से पीड़ित हैं 90 प्रतिशत भारतीय युवतियां, गर्भवती महिलाओं को भी है खतरा

नई दिल्ली: अपोलो डायग्नोस्टिक्स के राष्ट्रीय तकनीकी प्रमुख और मुख्य रोग विज्ञानी डॉ. राजेश बेंद्रे ने IANS के साथ बतचीत करते हुए बताया कि 'युवा महिलाओं में आयरन की कमी एक बढ़ती हुई चिंता है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. हेल्दी फूड और सप्लिमेंट्स को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद 90 प्रतिशत महिलाओं में आयरन की कमी देखी जाती है. महिलाओं में आयरन की कमी के मुख्य कारण पीरियड्स के दौरान खून की कमी होना, रिस्ट्रिक्टिव डाइट लेना  और ज्यादा मात्रा में प्रोसेस्ड फूड का सेवन करना है. 

गर्भवती महिलाएं भी हैं पीड़ित 
डॉक्टर का कहना है कि महिलाओं को शरीर में आयरन के पर्याप्त स्तर को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उचित पोषण शिक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है. उनके मुताबिक कई गर्भवती महिलाएं भी आयरन की कमी से पीड़ित होती हैं, जिससे कम हीमोग्लोबिन, एनीमिया, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ और पीली त्वचा जैसी समस्याएं होती है. यह बच्चे के विकास को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. 

आयरन की कमी के परिणाम 
लीलावती अस्पताल के हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. अभय भावे ने कहा,'एनीमिया सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. इसके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण, सामाजिक और आर्थिक परिणाम हैं. इनमें काम पर कम घंटे, खराब एकाग्रता और कम आत्मसम्मान शामिल हैं, जिससे विकास में कमी आती है और गंभीर मामलों में मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है, खासकर गर्भवती रोगियों में प्रसव के समय. लगभग 50-60 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी पाई जाती है.' 

हेल्दी डाइट है जरूरी 
अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. केकिन गाला के अनुसार, थकान और सामान्य कमजोरी अक्सर आयरन की कमी की ओर इशारा करते हैं. गाला ने कहा, 'आपके मासिक धर्म चक्र पर ध्यान देना भी निदान में महत्वपूर्ण हो सकता है,क्योंकि हैवी पीरियड्स के बाद में आयरन की कमी हो सकती है. इसके लिए स्क्रीनिंग परीक्षणों में पूर्ण रक्त गणना (CBC), और सीरम फेरिटिन और ट्रांसफरिन सेचुरेशन जैसे अतिरिक्त परीक्षण शामिल हैं.' गाला ने सप्लिमेंट्स के अलावा डेली डाइट में पालक और दाल जैसे आयरन से भरपूर चीजों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि शरीर में स्वाभाविक रूप से आयरन के स्तर को फिर से बढ़ाने में मदद मिल सके और शरीर को अच्छे से पोषण मिल सके.  

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