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Rohit Sharma: बचपन में फीस के लिए भी नहीं थे पैसे, फिर आया एक फरिश्ता जिसने बदल दी रोहित की जिंदगी

Rohit Sharma Life Story: रोहित शर्मा को आज दौलत-शोहरत की कोई कमी नहीं है लेकिन इस प्रतिभा को पहचानने और उसे निखारने के पीछे एक शख्स का हाथ है, जिसे शायद कम लोग जानते होंगे. उन्होंने बचपन में रोहित शर्मा की मदद की. उन्हें ऑफ स्पिनर से बल्लेबाज बनाने के लिए भी प्रेरित किया. जानें पूरी कहानीः

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Rohit Sharma: बचपन में फीस के लिए भी नहीं थे पैसे, फिर आया एक फरिश्ता जिसने बदल दी रोहित की जिंदगी
Zee Hindustan Web Team|Updated: Jun 29, 2024, 12:54 PM IST

नई दिल्लीः Rohit Sharma Life, T20 World Cup Final 2024: भारतीय टीम रोहित शर्मा की कप्तानी में एक साल में आईसीसी के तीसरे टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची है. टीम इंडिया की खेलने की अप्रोच बदलने का श्रेय रोहित शर्मा को भी जाता है. भले ही भारतीय टीम रोहित की कप्तानी में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और वनडे विश्व कप का फाइनल न जीत पाई हो लेकिन उसके पास अब टी20 विश्व कप जीतने का मौका है. भारत के खिताब अपने नाम करने की संभावना इसलिए भी प्रबल है, क्योंकि पूरे टूर्नामेंट में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और रोहित शर्मा की कप्तानी भी शानदार रही है.

स्कूल फीस के लिए नहीं थे पैसे

वर्तमान में रोहित शर्मा भारतीय टीम कप्तान हैं. उनके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं है लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब रोहित शर्मा के पास स्कूल की फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं थे. रोहित शर्मा काफी छोटे थे और साल 1999 में मुंबई के बोरिवली स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन की ओर से एक टीम में खेल रहे थे. 

ऑफ स्पिन करते थे रोहित

वहां एक दिन कई खिलाड़ियों को कोचिंग दे चुके दिनेश लाड पहुंचे. उनको स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के लिए टीम बनानी थी. उन्होंने रोहित शर्मा को ऑफ स्पिन कराते देखा. इससे वह काफी प्रभावित हुए और वह रोहित के चाचा से मिले. क्योंकि रोहित के माता-पिता बोरिवली से दूर रहते थे और वह अपने चाचा के साथ रहते थे. 

स्कूल ने रोहित की फीस माफ की 

दिनेश लाड ने रोहित का दाखिला स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में कराने की बात कही ताकि वह इस स्कूल की टीम का हिस्सा बन सके. समस्या यह थी कि इस स्कूल की फीस 275 रुपये प्रति माह थी. यह रोहित के परिवार के लिए काफी ज्यादा थी. इसके बाद दिनेश लाड ने स्कूल को रोहित की फीस माफ करने के लिए मनाया और वह इस स्कूल में ऐसे पहले बच्चे थे जिनकी फीस इसलिए माफ की गई क्योंकि उन्हें क्रिकेट टीम में शामिल करना था.

ऑफ स्पिनर से यूं बल्लेबाज बने

तब रोहित की उम्र करीब 12 साल थी. उन्होंने स्कूल में दाखिला लेने के बाद प्रैक्टिस शुरू की. वह ऑफ स्पिन करते थे. एक साल उन्होंने ऑफ स्पिनर के रूप में ही स्कूल की टीम से खेला लेकिन एक दिन रोहित की बैटिंग प्रैक्टिस देखकर दिनेश लाड ने उनसे बैटिंग को लेकर पूछा. रोहित की भी बल्लेबाजी में दिलचस्पी थी. इसके बाद वह बैटिंग प्रैक्टिस भी करने लगे. वह न सिर्फ विकेट लेने लगे बल्कि ताबड़तोड़ रन भी बनाने लगे. 

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