trendingNow1zeeHindustan1261952
Hindi news >> Zee Hindustan>> Zee Hindustan Sports

कभी छर्रे वाली बंदूक से फोड़ते थे गुब्बारे, अब विश्वकप में गोल्ड मेडल जीत लहराया तिरंगा

ISSF Shooting World Cup 2022 Gold Medalist Aishwarya Tomar Story: दक्षिण कोरिया के चांगवन में आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशंस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर (21) के मन में बंदूकों को लेकर बचपन से ही आकर्षण रहा है.

Advertisement
कभी छर्रे वाली बंदूक से फोड़ते थे गुब्बारे, अब विश्वकप में गोल्ड मेडल जीत लहराया तिरंगा

ISSF Shooting World Cup 2022 Gold Medalist Aishwarya Tomar Story: दक्षिण कोरिया के चांगवन में आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशंस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर (21) के मन में बंदूकों को लेकर बचपन से ही आकर्षण रहा है. खेती-किसानी से जुड़े परिवार का यह बालक गांव के मेले में छर्रे की बंदूक से गुब्बारे फोड़ने का शौक पूरा करने से कभी नहीं चूकता था. 

विश्व कप में ऐश्वर्य की सुनहरी कामयाबी से गदगद उनके पिता वीरबहादुर सिंह तोमर (59) ने अपने बेटे से जुड़ी ये यादें रविवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई से साझा कीं. टोक्यो ओलंपिक में भारत की नुमाइंदगी कर चुके ऐश्वर्य मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के महज 800 की आबादी वाले रतनपुर गांव के रहने वाले हैं. उन्हें घर में प्यार से "प्रिंस" पुकारा जाता है. 

मेले में छर्रे वाली बंदूक से लगाता था निशाना

इंदौर से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित गांव में खेती-किसानी करने वाले तोमर ने बताया,‘प्रिंस (ऐश्वर्य) बचपन में गांव के मेले में जब भी जाता था, तो उसकी सबसे ज्यादा दिलचस्पी छर्रे की बंदूक से गुब्बारे फोड़ने में रहती थी. वह इस बंदूक से गुब्बारों पर निशाना साधकर बहुत खुश होता था.’

तोमर ने बताया कि वह राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उनके कुनबे में रायफल व बंदूक जैसे लाइसेंसी हथियार पारंपरिक रूप से रखे जाते हैं, लिहाजा ऐश्वर्य ने ये हथियार बचपन से ही देख रखे थे. उन्होंने बताया कि ऐश्वर्य ने निशानेबाजी के गुर सीखने के बारे में तब मन बनाया, जब उनके भांजे नवदीप सिंह राठौड़ भोपाल में राज्य सरकार की निशानेबाजी अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे थे. 

तोमर ने बताया,‘वैसे भी प्रिंस (ऐश्वर्य) का मन पढ़ाई-लिखाई में कम ही लगता था. इसलिए हमने उसे 14 साल की उम्र में भोपाल की निशानेबाजी अकादमी भेजा था. लेकिन पहले प्रयास में प्रशिक्षण के लिए उसका चयन नहीं हो सका था.’

सफलता के पीछे भोपाल भेजने का फैसला

उन्होंने बताया कि निशानेबाजी को लेकर जुनूनी ऐश्वर्य को अगले साल फिर भोपाल की अकादमी भेजा गया और उसे 15 साल की उम्र में प्रशिक्षण के लिए चुन लिया गया. तोमर ने बताया कि इस चयन के बाद उनके बेटे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह राज्य से लेकर विश्व स्तर तक सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है. 

गौरतलब है कि ऐश्वर्य ने 16 जुलाई (शनिवार) को चांगवन में आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप की 50 मीटर थ्री पोजीशंस स्पर्धा में हंगरी के जलान पेकलर को 16-12 से पछाड़कर पोडियम पर शीर्ष स्थान पर कब्जा किया. पेकलर 2018 के युवा ओलंपिक चैंपियन रह चुके हैं. वैसे ऐश्वर्य का निशानेबाजी विश्व कप में यह दूसरा स्वर्ण पदक है. उन्होंने इस स्पर्धा में पहला पदक पिछले साल नयी दिल्ली में जीता था.

इसे भी पढ़ें- SL vs PAK: बाबर ने फिर तोड़ा विराट कोहली का रिकॉर्ड, एशियाई बैटर्स में निकले सबसे आगे

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

Read More
googletag.cmd.push(function() { googletag.display(interstitialSlot)})