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क्या सुक्खू सरकार बचाने के लिए हिमाचल में मंजूर किए गए 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे, जानें विधानसभा का नंबर गेम

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे सोमवार को स्वीकार कर लिए. इन तीनों ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. तीन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा में अब 59 सदस्य रह गए हैं क्योंकि कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों को पहले ही दल बदल कानून के तहत अयोग्य ठहरा दिया गया था. अब 3 निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद संख्या 59 हो गई है.

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क्या सुक्खू सरकार बचाने के लिए हिमाचल में मंजूर किए गए 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे, जानें विधानसभा का नंबर गेम
Zee Hindustan Web Team|Updated: Jun 03, 2024, 03:14 PM IST

नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे सोमवार को स्वीकार कर लिए. इन तीनों ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. तीन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा में अब 59 सदस्य रह गए हैं क्योंकि कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों को पहले ही दल बदल कानून के तहत अयोग्य ठहरा दिया गया था. अब 3 निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद संख्या 59 हो गई है.

इस्तीफे स्वीकार कर लिए गएः पठानिया

इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष पठानिया ने कहा, 'इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं और ये तीन विधायक तत्काल प्रभाव से 14वीं विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे.' बता दें कि देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, हमीरपुर से आशीष शर्मा और नालागढ़ से के एल ठाकुर ने कांग्रेस के छह बागी विधायकों के साथ 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया था. 

विधायकों ने हाई कोर्ट का रुख किया था

तीनों निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था लेकिन अध्यक्ष ने यह कहते हुए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था कि उन्हें कांग्रेस विधायक दल की ओर से एक प्रतिवेदन मिला है कि उन्होंने दबाव में इस्तीफा दिया है, स्वेच्छा से नहीं. इस्तीफा मंजूर न होने पर तीनों विधायकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

हाई कोर्ट मामले में अंतिम फैसला नहीं सुना पाया था क्योंकि हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अलग-अलग फैसला दिया था. इसके बाद मामले को तीसरे जज को सौंपने की सिफारिश की गई थी. इस मामले में तीसरे जज को निर्णय देना था. हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस पर फैसला सुनाना बाकी था.

क्यों मतगणना से पहले आया फैसला

रिपोर्ट्स में लंबे समय तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने को लेकर कहा जा रहा कि कांग्रेस नहीं चाहती थी कि पार्टी के अयोग्य ठहराए 6 विधायकों की विधानसभा सीटों के साथ-साथ इन निर्दलीय विधायकों वाली सीटों पर भी उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हों. 

वहीं मतगणना से ठीक एक दिन पहले इस्तीफे स्वीकार करने के पीछे अनुमान यह लगाया जा रहा है कि अगर उपचुनाव में बीजेपी ने सभी 6 सीटें जीत लीं तो उनके विधायकों की संख्या 25 से बढ़कर 31 हो जाएगी. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से यह नंबर बढ़कर 34 हो जाएगा और कांग्रेस के पास भी 34 ही विधायक हैं. इससे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें हो सकती हैं. ऐसे में इन तीन निर्दलीयों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए. अब इन तीन सीटों पर आने वाले दिनों में चुनाव आयोग उपचुनाव कराएगा.

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