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पहले गठबंधन में लड़ चुकी है BSP, जानें फायदा हुआ या नुकसान?

Mayawati BSP Strategy: बसपा प्रमुख मायावती ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मायावती का यह फैसला समझने के लिए इतिहास में झांकना होगा. 

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पहले गठबंधन में लड़ चुकी है BSP, जानें फायदा हुआ या नुकसान?

नई दिल्ली: Mayawati BSP Strategy: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायवाती ने अपने जन्मदिन ओर बड़ी घोषणा की है. आगामी लोकसभा चुनाव में बसपा ने चुनावी समर में अकेले उतरने का फैसला किया है. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तर्क दिया है कि पहले हुए गठबंधन में हमें फायदा नहीं हुआ, इस कारण से हम इस बार का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. मायावती ने यह दावा भी किया कि गठबंधन करने पर दूसरी पार्टी के वोट हमें शिफ्ट नहीं होते. लेकिन मायावती के दावे के इतर तथ्य कुछ और कहते हैं. 

जब पहली बार गठबंधन में लड़ी BSP
साल 1993 में पहली बार BSP ने गठबंधन की राजनीति में कदम रखा. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सपा और बसपा ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा. उस दौरान बसपा के नेता कांशीराम हुआ करते थे और सपा के मुलायम सिंह यादव. 'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम' का नारा खूब पॉपुलर हुआ. नतीजा गठबंधन के पक्ष में रहा. 176 सीटों पर SP-BSP ने जीत दर्ज की. इसमें 109 सीटें SP और 67 सीटें BSP को मिलीं.  SP का वोट शेयर 17.9% और BSP का वोट शेयर 11.12% रहा. माना जाता है कि इस चुनाव में जबरदस्त राम लहर होने बाद भी गठबंधन की जीत के पीछे सक्सेसफुल वोट शिफ्टिंग बड़ा कारण रहा. SP ने BSP को वोट शिफ्ट करवाए और BSP ने SP को. 

BSP को घाटा हुआ या नुकसान
2019 में SP और BSP ने एक साथ चुनाव लड़ा. इस चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिलीं. गठबंधन टूट जाने पर सपा ने आरोप लगाया कि हमारा वोट बैंक BSP को शिफ्ट हुआ, लेकिन उनके वोट हमें नहीं पड़े. सीटों के आंकड़े देखे जाएं तो लगता भी यही है कि BSP को फायदा हुआ. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को शून्य सीट आई, जबकि 2019 में 10 सीटों की बढ़ोतरी हुई. लेकिन वोट परसेंटेज घटा. जिन 38 सीटों पर BSP 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ी, वहां गठबंधन का वोट शेयर 2014 की तुलना में 2.8 प्रतिशत घट गया. जबकि जिन 37 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा, उन पर वोट शेयर 2.1 प्रतिशत घटा. 

ऐसे समझें पूरा गणित
कुछ बड़ी सीटों का उदाहरण लेकर समझते हैं कि गठबंधन में BSP को कैसे नुकसान हुआ. गोरखपुर सीट पर 2014 के चुनाव में सपा और बीएसपी का वोट शेयर मिला दें तो 38.7% हुआ. जबकि 2019 में गठबंधन में लड़ने पर दोनों दलों का संयुक्त वोट शेयर घटकर 35.1% हो गया.  कैराना में 2014 में SP-BSP का वोट शेयर 43.7% था. 

फिर भी BSP कैसे जीत गई 10 सीटें?
माना जाता है कि BSP को 2019 में 10 सीटें मिलने का कारण सीटों का अच्छा चुनाव था. BSP को ज्यादातर वो सीटें मिली, जिन पर पहले से सपा-बसपा का वोट परसेंटेज BJP से यादा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 23 सीटों पर SP और BSP का संयुक्त वोट परसेंटेज 60.5% था. जबकि एसपी को मिली 37 में से 18 सीटों पर पर दोनों दलों का संयुक्त वोट परसेंटेज 48.6% ही था.

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