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Masrat Alam: कौन है तिहाड़ जेल का कैदी मसरत आलम, जिसकी पार्टी को अमित शाह ने किया बैन

Muslim League Jammu Kashmir Banned: मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर-आलम गुट को केंद्र सरकार ने बैन कर दिया है. गृह मंत्री शाह ने कहा कि इस संगठन के सदस्य आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं.

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Masrat Alam: कौन है तिहाड़ जेल का कैदी मसरत आलम, जिसकी पार्टी को अमित शाह ने किया बैन

नई दिल्ली: Muslim League Jammu Kashmir Banned: केंद्र सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर-आलम गुट (MLJK- MA) पर बैन लगा दिया है. सरकार ने बुधवार को UAPA के ठत इस संगठन को बैन किया है. इस संगठन को बैन करने की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दी. उन्होंने बताया कि MLJK- MA को एक गैर-कानूनी संगठन घोषित कर दिया गया है.

क्या बोले गृह मंत्री अमित शाह?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा, 'मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)/एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक 'गैरकानूनी संघठन' घोषित किया गया है. यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं.'

'मोदी सरकार का कड़ा संदेश'
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का यह कड़ा और स्पष्ट संदेश है कि हमारे राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी शख्स को नहीं बख्शा जाएगा. जो ऐसा करेगा, उसे कानून का सामना करना पड़ेगा.

कौन है मसरत आलम?
बैन किया गया संगठन मसरत आलम भट्ट का है. 52 वर्षीय मसरत आलम फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है. वह साल 2019 से तिहाड़ का ही कैदी है. मसरत आलम ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष है, यह अलगाववादी संगठनों का एक ग्रुप है. हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद इस ग्रुप ने मसरत आलम को अपना अध्यक्ष चुना था. माना जाता है कि मसरत आलम गिलानी से भी बड़ा पाकिस्तानी समर्थक है.

1990 से आतंकी गतिविधियों में शामिल
गिलानी से हाथ मिलाने से पहले ही मसरत आलम आतंक की दुनिया में कदम रख चुका था. वह 1990 के आसपास आतंकी गतिविधियों में सक्रिय हो गया था. मसरत पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह का स्थानीय कमांडर था, इसी दौरान उसने मुस्लिम लीग नामक अलगाववादी संगठन की स्थापना की थी.

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