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उत्तराखंड में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए बचावकर्मी अब अपनाएंगे ये तरीका, रखा जा रहा है इस बात का ध्यान

UttarKashi Tunnel Rescue:  उत्तराखंड में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए अब बचावकर्मी सुरंग के ऊपर से ड्रिल करेंगे. इससे पहले शनिवार की सुबह एक नई बरमा मशीन साइट पर पहुंची, लेकिन मलबे की 65-70 मीटर की दीवार के माध्यम से एक छेद ड्रिल करते समय अधिक नुकसान होने की आशंका को देखते हुए उसे इस्तेमाल नहीं किया गया.

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उत्तराखंड में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए बचावकर्मी अब अपनाएंगे ये तरीका, रखा जा रहा है इस बात का ध्यान

UttarKashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी में एक ध्वस्त निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों का जीवन अभी भी अधर में लटका हुआ है. शनिवार को उन तक पहुंचने की कोशिश कर रहे बचावकर्मियों ने ऑपरेशन के सातवें दिन (पहले दो दिनों को छोड़ने के बाद) एक वैकल्पिक योजना पर काम करना शुरू कर दिया है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी विकल्प को तलाशते हुए 41 लोगों को भोजन और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति न रुके.

अधिकारियों ने बताया कि नई योजना में पहाड़ की चोटी पर एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जाएगा, ताकि सुरंग पर पूर्व-चिह्नित स्थान से लगभग 103 मीटर की गहराई तक ड्रिलिंग को किया जा सके, जहां श्रमिक फंसे हुए हैं. 

उत्तराखंड में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए अब बचावकर्मी सुरंग के ऊपर से ड्रिल करेंगे. इससे पहले शनिवार की सुबह एक नई बरमा मशीन साइट पर पहुंची, लेकिन मलबे की 65-70 मीटर की दीवार के माध्यम से एक छेद ड्रिल करते समय अधिक नुकसान होने की आशंका को देखते हुए उसे इस्तेमाल नहीं किया गया.

PMO अधिकारी भी पहुंचे
प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, श्रमिकों को बचाने के सभी विकल्प तलाशे जा रहे हैं. शनिवार को घटनास्थल पर पहुंचे खुल्बे ने स्थानीय लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा, 'हम श्रमिकों को बचाने के लिए यथासंभव कई विकल्प तलाश रहे हैं। जो लोग यहां कई दिनों से फंसे हुए हैं उन तक पहुंचना हमारी प्राथमिकता है. हमारे पास किसी भी संसाधन, विकल्प की कमी नहीं है.'

रविवार से फंसे हुए हैं मजदूर
निर्माण कार्य में लगे मजदूर रविवार से फंसे हुए हैं. वे तब फंसे जब वे 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा बना रहे थे. सुरंग उत्तराखंड जिले में सिल्कयारा प्रवेश द्वार से लगभग 200 मीटर की दूरी पर ढह गई. सुरंग व्यस्त चारधाम ऑल वेदर रोड का हिस्सा है, जो विभिन्न तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाली एक प्रमुख परियोजना है.

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