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इस राज्य में जून में बिजली के रेट बढ़ाने की तैयारी, जानिए कितनी महंगी होगी इलेक्ट्रिसिटी

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) जून के पहले सप्ताह तक संशोधित बिजली दरों की घोषणा कर सकता है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की ओर से पेश किए गए नए बिजली टैरिफ ने उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए 23 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है.

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इस राज्य में जून में बिजली के रेट बढ़ाने की तैयारी, जानिए कितनी महंगी होगी इलेक्ट्रिसिटी

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) जून के पहले सप्ताह तक संशोधित बिजली दरों की घोषणा कर सकता है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की ओर से पेश किए गए नए बिजली टैरिफ ने उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए 23 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है.

निगम ने 18 फीसदी बढ़ोतरी का दिया प्रस्ताव
शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए निगम ने लगभग 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. आयोग ने 2018-19 से बिजली दरों में संशोधन नहीं किया है. यूपीईआरसी ने सभी वितरण कंपनियों में जन सुनवाई पूरी कर ली है. पिछली सुनवाई 28 अप्रैल को नोएडा में हुई थी. सूत्रों ने कहा कि आयोग अब विभिन्न डिस्कॉम को उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए सार्वजनिक आपत्तियों की एक संकलित रिपोर्ट भेजेगा.

इसके बाद औपचारिक रूप से टैरिफ की घोषणा करने से पहले हितधारकों की सभी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए आयोग टैरिफ का विश्लेषण करेगा.

इस प्रक्रिया में माहभर का समय लगने के आसार
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इसमें एक महीने का समय लगने की उम्मीद है. आयोग उम्मीद के मुताबिक जून के पहले सप्ताह तक टैरिफ की घोषणा कर सकेगा. सूत्रों ने कहा कि यूपीपीसीएल ने ताप विद्युत संयंत्रों की बढ़ती परिचालन लागत पर प्रकाश डाला है. यहां इस्तेमाल होने वाले कोयले की कीमत बढ़ गई है.

बिजली के फिक्स चार्ज में भी बढ़ोतरी का है प्रस्ताव
यूपीपीसीएल ने न केवल बिजली यूनिट चार्ज में वृद्धि का प्रस्ताव दिया है, बल्कि फिक्स चार्ज को भी 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोग परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा, जो बिजली दरों के मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, ने कहा कि एसोसिएशन ने सभी सुनवाई में भाग लिया.

उन्होंने कहा कि यूपीपीसीएल को उपभोक्ताओं के 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक के मुद्दे को हल करने की जरूरत है.

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