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पहले भी कई भीषण आपदाओं का सामना कर चुका है मोरबी शहर, क्या 'यह श्राप' है वजह

इसी मच्छु नदी पर बना झूलता पुल आस पास के लोगों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र था. सात महीने से इस पुल की मरम्मत का काम चल रहा था और पांच दिन पहले ही ये आम लोगों के लिए फिर से खोला गया था.

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पहले भी कई भीषण आपदाओं का सामना कर चुका है मोरबी शहर, क्या 'यह श्राप' है वजह

नई दिल्ली: राजकोट से 64 किलोमीटर दूर बसे मोरबी शहर का इतिहास काफी पुराना रहा है. मच्छु नदी के किनारे पर बसा यह शहर प्राचीन जडेजा राजपूतों की राजधानी भी रहा है. इसी मच्छु नदी पर बना झूलता पुल आस पास के लोगों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र था. सात महीने से इस पुल की मरम्मत का काम चल रहा था और पांच दिन पहले ही ये आम लोगों के लिए फिर से खोला गया था.

रविवार को हुआ था बड़ा हादसा

रविवार के दिन नवा साल के मौके पर बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने पहुंचे थे. उसी शाम को इस पुल के गिरने से हुए भीषण हादसे से पूरा देश सिहर उठा. हादसे के तुरंत बाद गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल मोरबी पहुंचे थे. 

PM Modi ने ली रेस्क्यू की जानकारी

हादसे पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का इस्तीफा तक मांग लिया.  उधर मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके गुजरात सरकार से पांच सवाल पूछे हैं. इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मोरबी पहुंचे और रेस्क्यू की बारीक जानकारी ली. पीएम ने घायलों से मुलाकात की और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना भी की. 

इंजीनियरिंग का करिश्मा था पुल

19वीं सदी में बना ये पुल मोरबी के शासकों की वैज्ञानिक और आधुनिक कला का प्रतीक माना जाता था. ब्रिज ने 143 सालों तक दर्बगढ़ पैलेस और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज के बीच एक कनेक्शन के रूप में काम किया है. इसका निर्माण मोरबी के पूर्व शासक वाघजी ठाकुर ने 1922 में कराया था. इस पुल का उद्घाटन साल 1879 में मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड और मोरबी के पूर्व शाही निवास नजरबघ पैलेस के साथ दर्बगढ़ पैलेस द्वारा किया गया था. 

मोरबी के राजा को मिला था श्राप

मोरबी के लोग एक कहानी भी सुनाते हैं. जिसके अनुसार राजा जीयाजी जडेजा एक महिला की ओर आकर्षित हो गए थे, लेकिन उस महिला को ये बात पसंद नही थी. राजा उसे परेशान करते थे जिसके कारण एक दिन महिला ने मच्छू नदी में कूदकर अपनी जान दे दी. कहते हैं महिला ने आत्महत्या करने से पहले राजा को श्राप दिया "सात पीढ़ियों बाद न तुम्हारा वंश रहेगा और न तुम्हारा शहर."

मोरबी में आ चुकी हैं कई आपदाएं

मोरबी के लोगों का मानना है कि राजा को वो श्राप लग गया. मोरबी इससे पहले भी कई आपदाओं का सामना कर चुका है और लोग इसे राजा को मिले श्राप से जोड़ कर देखते हैं. साल 1979 में यहाँ बहुत भयानक बाढ़ आई थी जिसमें 1439 लोगों की मौत हुई थी और 12 हजार से ज्यादा पशु भी मौत का शिकार हुए थे. साल 2000 में भुज में जबरदस्त भूकंप आया था और उसके झटकों से भी मोरबी में भारी नुकसान हुआ था.

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