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Lumpy Skin Disease: लंपी वायरस से हो रही गायों की मौत, जानिए संक्रमित पशुओं का दूध पीना कितना सुरक्षित?

Lumpy Skin Disease: लंपी वायरस के चलते राजस्थान और गुजरात में हजारों गायों की मौत हो गई है. अन्य राज्यों में भी लंपी वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. लंपी वायरस क्या है? इसके लक्षण क्या है? ये क्यों फैल रही है? और क्या लंपी वायरस से संक्रमित मवेशी का दूध पीना चाहिए? क्या लंपी वायरस इंसानों को भी अपनी चपेट में ले सकता है? इन सभी सवालों के जवाब जानिए.

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Lumpy Skin Disease: लंपी वायरस से हो रही गायों की मौत, जानिए संक्रमित पशुओं का दूध पीना कितना सुरक्षित?

नई दिल्लीः Lumpy Skin Disease: लंपी वायरस के चलते राजस्थान और गुजरात में हजारों गायों की मौत हो गई है. अन्य राज्यों में भी लंपी वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. लंपी वायरस क्या है? इसके लक्षण क्या है? ये क्यों फैल रही है? और क्या लंपी वायरस से संक्रमित मवेशी का दूध पीना चाहिए? क्या लंपी वायरस इंसानों को भी अपनी चपेट में ले सकता है? इन सभी सवालों के जवाब जानिए.

मच्छरों-मक्खियों से फैलती है ये बीमारी
लंपी त्वचा रोग एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैयों की वजह से फैल सकती है. मवेशियों के एक दूसरे के संपर्क में आने और दूषित भोजन और पानी के जरिए भी ये दूसरे जानवरों में फैल सकती है. ये वायरस काफी तेजी से फैलने वाला वायरस है. 

इंसानों को नहीं है कोई खतरा
चूंकि ये रोग दुधारू पशुओं में पाया जा रहा है. लोगों को डर है कि कहीं उनमें भी इसका असर न हो जाए. हालांकि, एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर पीयूष रंजन के मुताबिक इंसानों पर इसका कोई खतरा नहीं है.  

दूध की हो सकती है कमी
इस बीमारी के खिलाफ इंसानों में जन्मजात इम्युनिटी पाई जाती है. यानी ये उन बीमारियों में से है, जो इंसानों को हो ही नहीं सकती है. हालांकि, हम इंसानों के लिए परेशानी की बात ये है कि भारत में दूध की कमी हो सकती है. क्योंकि गुजरात में मवेशियों की जान जाने से अमूल के प्लांट में दूध की कमी हो गई है.  
 
गांठदार त्वचा रोग वायरस है ये
दुधारू मवेशियों में फैल रहे इस बीमारी को 'गांठदार त्वचा रोग वायरस' यानी LSDV कहा जाता है. इस बीमारी की तीन प्रजातियां हैं. पहली 'कैप्रिपॉक्स वायरस', दूसरी गोटपॉक्स (Goatpox) वायरस और तीसरी शीपपॉक्स (SheepPox) वायरस.  

लंपी वायरस के लक्षण क्या हैं, जानें
लगातार बुखार रहना, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना. इन सबके साथ ही शरीर पर चकत्ता जैसी गांठें बन जाना. इस तरह के कई लक्षण पशुओं में दिखाई देने लगते हैं. 

जानिए लंपी वायरस का इतिहास क्या है
ये बीमारी सबसे पहले साल 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी. पिछले कुछ सालों में ये बीमारी कई देशों के पशुओं में फैली. साल 2015 में तुर्की और ग्रीस और 2016 में रूस में फैली. जुलाई 2019 में इस वायरस का कहर बांग्लादेश में देखा गया. अब ये कई एशियाई देशों में फैल रहा है. भारत में ये बीमारी 2019 में पश्चिम बंगाल में देखी गई थी. 

सात एशियाई देशों में भी फैल चुकी है बीमारी
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक, लंपी वायरस साल 2019 से अब तक सात एशियाई देशों में फैल चुकी है. साल 2019 में भारत के अलावा चीन, जून 2020 में नेपाल, जुलाई 2020 में ताइवान और भूटान, अक्टूबर 2020 में वियतनाम और नवंबर 2020 में हांगकांग में ये बीमारी पहली बार सामने आई थी. 

नहीं बना है लंपी वायरस का टीका
लंपी को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने अधिसूचित बीमारी घोषित किया हुआ है. इस वायरस का अभी तक कोई टीका नहीं बना है, इसलिए लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है. मौत से बचने के लिए जानवरों को एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी-हिस्टामिनिक जैसी दवाएं दी जाती हैं.  

गुजरात-राजस्थान में स्थिति है खराब
गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों में कई मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आ चुके हैं. सबसे ज्यादा खराब स्थिति गुजरात और राजस्थान की है. गुजरात में लंपी वायरस से अब तक 1600 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है. वहीं, राजस्थान में करीब 4300 गौवंश की मौत रिकॉर्ड की गई है.  

ऐसा भी माना जाता है कि देश के कई राज्यों में कोहराम मचा रहा लंपी वायरस पाकिस्तान के रास्ते भारत आया है. लंपी नामक ये संक्रामक रोग इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आया था. 

यह भी पढ़िएः क्या है लंपी त्वचा रोग? जो मवेशियों को तेजी से कर रहा है संक्रमित

 

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