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कितना बड़ा है लॉरेंस बिश्‍नोई का नेटवर्क? जानें कितने देशों में फैला है खौफ का साम्राज्य

लॉरेंस बिश्‍नोई और काला जत्थेदी के गठबंधन के शुरुआती विस्तार में गुरुग्राम स्थित सूबे गुज्जर और राजस्थान स्थित आनंदपाल सिंह के साथ सहयोग देखा गया.

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कितना बड़ा है लॉरेंस बिश्‍नोई का नेटवर्क? जानें कितने देशों में फैला है खौफ का साम्राज्य

नई दिल्लीः जेल में बंद लॉरेंस बिश्‍नोई के गिरोह का गठजोड़ उत्तर भारत के राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और यहां तक कि विदेशों में इटली, आर्मेनिया, कनाडा, अमेरिका, दुबई, फिलीपींस, पाकिस्तान, अज़रबैजान और तुर्की जैसे देशों में भी काम करता है.
सोशल मीडिया के युग में ये गिरोह अपने प्रभुत्व का प्रदर्शन करते हैं और विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से अनुयायियों, विशेषकर युवाओं को अपने गिरोह में शामिल होने के लिए आकर्षित करते हैं.

भारत में फैला है गैंग
लॉरेंस के महत्वपूर्ण गठजोड़ों में से एक में हरियाणा का कुख्यात अपराधी संदीप उर्फ काला जत्थेदी शामिल है. यह जोड़ी राजकुमार उर्फ राजू बसोदी, नरेश सेठी और अनिल छिप्पी सहित गिरोह के अन्य प्रमुख सदस्यों से भी जुड़ी हुई है. लॉरेंस बिश्‍नोई और काला जत्थेदी के गठबंधन के शुरुआती विस्तार में गुरुग्राम स्थित सूबे गुज्जर और राजस्थान स्थित आनंदपाल सिंह के साथ सहयोग देखा गया. इसके बाद उन्होंने जितेंद्र गोगी से हाथ मिला लिया, जिसका अंत प्रतिद्वंद्वी गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया द्वारा रची गई साजिश में हुआ.

इस सिद्धांत पर काम करता है गैंग
इन गिरोहों द्वारा अपने विस्तार के लिए अपनाई गई एक महत्वपूर्ण रणनीति "दुश्मन का दुश्मन दोस्त है" का सिद्धांत है. गिरोहों के बीच प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाते हुए वे क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मजबूत करने और अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए अस्थायी गठबंधन बनाते हैं.

फेसबुक का लेते हैं सहारा
हाल ही में तिहाड़ जेल के अंदर गोगी गिरोह के सदस्यों द्वारा टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद गैंगस्टर गोल्डी बराड़, जो बिश्नोई का करीबी सहयोगी भी है, ने अपने गठबंधन की ताकत का प्रदर्शन करते हुए एक सहायक फेसबुक पोस्ट की थी. अदालत में पेश राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के आरोपपत्र के अनुसार, लॉरेंस बिश्‍नोई ने किसी भी शूटर से सीधे बात नहीं की, लेकिन सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ और अनमोल बिश्‍नोई सहित अपने करीबी सहयोगियों के माध्यम से निर्देश दिए.

एनआईए ने यह भी कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि काम का बंटवारा पूरी योजना बनाकर किया जाता था और गिरोह के सदस्यों को अलग-अलग काम सौंपे जाते थे. फंडिंग से संबंधित मामले ज्यादातर लॉरेंसबिश्‍नोई, गोल्डी बराड़, जग्गू भगवानपुरिया और दरमनजोत काहलों द्वारा तय किए गए थे.

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