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आजाद भारत के पहले संसद सत्र का किस्सा, जब स्पीकर ने सांसदों से मांगी थी माफी!

First Parliament Session: आजाद भारत का पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था. फिर 13 मई, 1952 को लोकसभा का पहला सत्र शुरू हुआ. इसके लिए गणेश वासुदेव मावलंकर को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया था. उन्होंने सांसदों को शपथ दिलाई थी.

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आजाद भारत के पहले संसद सत्र का किस्सा, जब स्पीकर ने सांसदों से मांगी थी माफी!
Ronak Bhaira|Updated: Jun 24, 2024, 01:13 PM IST

नई दिल्ली: First Parliament Session: 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र आज यानी 24 जून, 2024 से शुरू हो गया है. पहले दो दिन सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी. इसके बाद लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा. इसी बीच पहली लोकसभा का जिक्र करना भी जरूरी है, जब आजाद भारत में पहले चुनाव हुए. पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने थे. पहले संसद सत्र के कई किस्से हैं. इनमें एक किस्सा स्पीकर का भी है, जिन्होंने गलती से पहले ही सांसदों से माफी मांग ली थी.

स्पीकर ने क्यों मांगी थी माफी?
आजाद भारत के पहले संसद सत्र की शुरुआत 12 मई, 1952 को हुई थी. राज्यसभा और लोकसभा, दोनों ही सदनों में पहला सत्र एक ही दिन बुलाया गया था. सत्र सुबह करीब 10.45 बजे शुरू हुआ था. पहली लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर चुने गए थे. प्रोटेम स्पीकर का काम सांसदों को शपथ दिलाने का होता है. मावलंकर ने शपथ शुरू होने से पहले ही कहा- मैं सभी सांसदों के नाम ठीक से लेने की कोशिश करूंगा. फिर भी कोई गलती हो जाए तो मुझे क्षमा करें.

पहले लोकसभा स्पीकर बने मावलंकर
गणेश वासुदेव मावलंकर बाद में लोकसभा के पहले स्पीकर भी बने. भारत में तीन प्रोटेम स्पीकर ऐसे रहे हैं, जो बाद में लोकसभा अध्यक्ष भी बन गए. मावलंकर का नाम इनमें शामिल है. साल 1952 के लोकसभा चुनाव में वे गुजरात की अहमदाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर आए थे. अब अहमदाबाद लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ है, यहां से देश के गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं. 

75% सांसद ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट थे
तब भारत की आबादी करीब 35 करोड़ थी, इनमें से 85% लोग अनपढ़ थे. फिर भी लोकसभा में पहुंचने वाले 75% सांसद ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट थे. 75 में से 15 फीसदी सांसद ऐसे थे, जी विदेश से पढ़कर लौटे थे. इनमें खुद PM जवाहरलाल नेहरू थे, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के माल्वेन कॉलेज से पढ़े थे. गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल इंग्लैंड के मिडिल टेंपल कॉलेज से पढ़े थे.

70 पार एक भी सांसद नहीं था
आजाद भारत की पहली लोकसभा में कई युवा सांसद चुनकर आए थे. दोनों सदनों में एक भी सांसद ऐसा नहीं था, जिसकी उम्र 70 पार हो. इस बार की लोकसभा में तो खुद प्रधानमंत्री भी 73 के साल हैं. पहली लोकसभा में 26 फीसदी सांसद ऐसे थे, जिनकी उम्र 40 साल के कम थी. जबकि 20 फीसदी सांसदों की उम्र 56 साल से अधिक थी.

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