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AIADMK को क्यों छोड़ना पड़ा BJP का साथ, 4 साल में ये 4 बड़े दल तोड़ चुके NDA से नाता

AIADMK Left NDA: एआईएडीएमके ने एनडीए छोड़ दिया है, इसके सबसे अधिक फायदा एमके स्टालिन की DMK को होगा, क्योंकि एंटी-डीएमके वोट दो जगह बंट जाएंगे. बीते चार साल में चार बड़े दल एनडीए का साथ छोड़ चुके हैं.

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AIADMK को क्यों छोड़ना पड़ा BJP का साथ, 4 साल में ये 4 बड़े दल तोड़ चुके NDA से नाता

नई दिल्ली: AIADMK Left NDA: तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक पार्टी ने (AIADMK) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अपना चार साल पुराना रिश्ता खत्म कर दिया है. एआईएडीएमके प्रमुख ईके पलानीस्वामी के इस फैसले के बाद कार्यककर्ताओं ने पटाखे फोड़कर अपनी खुशी जाहिर की. पार्टी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि एआईएडीएमके महासचिव इदापड्डी पलानीस्वामी के नेतृत्व में पार्टी के दो करोड़ समर्थकों की भावनाओं और सोच को व्यक्त करते हुए ये तय किया कि एनडीए से हम अलग हो जाएंगे. बीते चार साल में एनडीए को छोड़ने वाला AIADMK चौथा दल बन गया है.

AIADMK ने क्यों छोड़ा NDA
दोनों दलों के बीच विवाद की वजह कुछ बयान हैं. दरअसल, बीते कुछ समय से तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष अन्नामलाई लगातार AIADMK के नेताओं के खिलाफ बयान दे रहे हैं. हाल ही में आए एक बयान में उन्होंने कहा था, 'साल 1956 में अन्नादुरई ने हिंदू धर्म का अपमान किया था. बाद में विरोध हुआ तो उन्हें माफी मांगनी पड़ी और मदुरै से भागना पड़ा.' अन्नादुरई द्रविड़ आंदोलन के समर्थक और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे हैं. अन्नादुरई ने ही मद्रास का नाम तमिलनाडु किया था. AIADMK को यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि उनके नेता के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी की जा रही है. इसके अलावा बीते कुछ साल से AIADMK राज्य में सिकुड़ती नजर आ रही है. बीते विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोटर्स ने AIADMK से दूरी बनाई थी. इसकी प्रमुख वजह यही मानी जा रही है कि पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन में थी.

किसे होगा फायदा
AIADMK और BJP के अलग होने से सबसे अधिक फायदा सत्ताधारी दल DMK का है. दरअसल, दोनों पार्टियों के अलग होने से एंटी-डीएमके वोट दो जगह बंट जाएगा. एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके इंडिया गठबंधन का भी हिस्सा है. गौरतलब है कि डीएमके के नेतृत्व में बने गठबंधन ने 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 39 में से 38 सीटें जीती थीं. 

AIADMK से पहले ये 4 दल छोड़ चुके साथ
2019 के लोकसभा चुनावों के बाद 4 बड़े दलों ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है. इनमें भाजपा के ऐसे पुराने सहयोगी भी शामिल हैं जो बरसों से साथ थे. AIADMK के अलावा ये तीन दल छोड़ चुके NDA.

शिवसेना
शिवसेना भाजपा के सबसे पुराने मित्र दलों में से एक है. दरअसल, शिवसेना चाहती थी कि ढाई साल के लिए उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री हो, लेकिन भाजपा को यह मंजूर नहीं था. नवंबर 2019 में गठबंधन टूट गया. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ चली गई.  हालांकि, जुलाई 2022 में पार्टी टूट गई और एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. 

शिरोमणि अकाली दल
शिरोमणि अकाली दल एनडीए के संस्थापक दलों में से एक रहा है. लेकिन कृषि कानूनों के विरोध में पार्टी ने सितंबर 2020 में भाजपा का साथ छोड़ दिया था. गठबंधन टूटने से पहलेअकाली दल से सांसद हरसिमरत कौर मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं. 

जनता दल (यूनाइटेड)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली जेडीयू ने अगस्त 2022 में यह कहते हुए एनडीए छोड़ा कि उनकी पार्टी की भूमिका कम की जा रही है. 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 74 सीटें और जेडीयू ने 43 सीटें जीती थीं. अब जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा हैं. 

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