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146 करोड़ की साइबर ठगी: 18 माह बनाया प्लान, 3 हैकर्स की भर्ती, 1 करोड़ खर्च, फिर भी फंस गए

एसटीएफ ने डेढ़ साल की मेहनत पर पानी फेर दिया है. 146 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले का भंडाफोड़ हुआ है. इस केस में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 

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146 करोड़ की साइबर ठगी: 18 माह बनाया प्लान, 3 हैकर्स की भर्ती, 1 करोड़ खर्च, फिर भी फंस गए

लखनऊ: अपराध कितनी भी होशियारी से क्यों न किया जाए, कोई न कोई सुराग छूट ही जाता है. एक बड़ी साइबर धोखाधड़ी के केस में कुछ ऐसा ही हुआ. यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सहकारी बैंक धोखाधड़ी मामले के दो मास्टरमाइंडों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों, जिसमें हैकर्स भी शामिल हैं ने 146 करोड़ रुपये डिजिटल रूप से ट्रांसफर किए गए थे. हालांकि, इस केस के आरोपी दिल्ली के हैकर्स अभी भी फरार हैं.

डेढ़ साल की प्लानिंग
पुलिस के अनुसार, साइबर ठगों ने 18 महीनों में 1 करोड़ रुपये खर्च किए, 3 हैकर्स को नौकरी पर रखा, 6 उपकरणों का इस्तेमाल किया, 3 कीलॉगर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया. इसके अलावा तीन कर्मचारियों को 15 अक्टूबर को पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंक के सर्वर को तोड़ने के लिए फंसाया. आरोपियों ने कहा कि वे पिछले 18 महीनों से 'प्रोजेक्ट' पर काम कर रहे थे और उपकरणों की खरीद में 50 लाख रुपये भी खर्च किए थे.

कौन हैं आरोपी
अपर एसपी एसटीएफ विशाल विक्रम ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की की पहचान ध्रुव कुमार श्रीवास्तव, रामराज (यही मास्टरमाइंड है), कर्मवीर सिंह, आकाश कुमार और भूपेंद्र सिंह के रूप में हुई है. रामराज उत्तर प्रदेश के गृह विभाग में अनुभाग अधिकारी हैं, जबकि कर्मवीर सहकारी बैंक की सीतापुर शाखा के भुगतान अनुभाग में सहायक प्रबंधक हैं.

क्या हुई बरामदगी
टीम ने आरोपियों के पास से एक बैंक आईडी कार्ड, आधार कार्ड के 25 सेट और खाली चेक, आठ मोबाइल फोन और सात एटीएम कार्ड बरामद किए.
अपने कबूलनामे में, ध्रुव कुमार श्रीवास्तव ने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने एक हैकर को काम पर रखा था, जिसे बैंक के सिस्टम तक रिमोट एक्सेस लेने में विशेषज्ञता थी.

कैसे पकड़े गए
15 अक्टूबर को गिरोह की पांच टीमें केडी सिंह बाबू स्टेडियम में इकट्ठी हुईं. गिरोह सर्वर को तोड़ने में कामयाब रहा और 146 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. एएसपी ने कहा कि मनी ट्रांसफर के बाद, बैंक के कर्मचारियों को अलर्ट मिलने पर गिरोह जलपान के लिए एक भोजनालय में पहुंचा था और मनी ट्रांसफर को रोक दिया गया. जब इसकी भनक गिरोह के सदस्यों को लगी तो वे घबरा गए और अलग-अलग जगहों पर भाग गए.

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