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अब 'दोस्तों' से कांग्रेस को झटका! ममता, नीतीश, अखिलेश के इंडिया गठबंधन की बैठक में न आने का क्या है मतलब?

3 तारीख को आए नतीजों के बाद ही कांग्रेस की तरफ से 6 दिसंबर को यह बैठक बुलाई गई है. बैठक के दिन प्रतीकात्मक महत्व भी है. एक तरफ यह दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि का दिन है तो वहीं इस दिन अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाया भी गया था. लेकिन कांग्रेस द्वारा यह बैठक बुलाए जाने के भी कई 'दोस्त' इसमें शामिल होते नहीं दिख रहे हैं.

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अब 'दोस्तों' से कांग्रेस को झटका! ममता, नीतीश, अखिलेश के इंडिया गठबंधन की बैठक में न आने का क्या है मतलब?

नई दिल्ली. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली चुनावी हार के बाद कांग्रेस पार्टी को अपने 'दोस्तों' से भी नसीहत सुनने को मिल रही है. चुनावी नतीजों के बाद तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने यहां तक कह डाला कि कांग्रेस आत्ममुग्ध है. वहीं जेडीयू की तरफ से विपक्षी चेहरे के रूप में क्रेडिबल नेता की मांग जाने लगी.इतना ही नहीं नीतीश कुमार और ममता बनर्जी दोनों ही कांग्रेस की तरफ से 6 दिसंबर को बुलाई गई इंडिया गठबंधन की बैठक में नहीं शामिल होंगे.

अखिलेश और हेमंत सोरेन भी नहीं होंगे शामिल
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की बुधवार को दिल्ली में ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में शामिल होने की कोई योजना नहीं है. यही नहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस बैठक में नहीं शामिल होंगे.

कांग्रेस ने बुलाई है बैठक
दरअसल 3 तारीख को आए नतीजों के बाद ही कांग्रेस की तरफ से 6 दिसंबर को यह बैठक बुलाई गई है. बैठक के दिन प्रतीकात्मक महत्व भी है. एक तरफ यह दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि का दिन है तो वहीं इस दिन अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाया भी गया था. लेकिन कांग्रेस द्वारा यह बैठक बुलाए जाने के भी कई 'दोस्त' इसमें शामिल होते नहीं दिख रहे हैं.

क्या बोलीं ममता बनर्जी
तृणमूल की तरफ से ममता ने कहा कि उन्हें इस बैठक की कोई जानकारी नहीं है इस वजह उन्होंने 6 दिसंबर को उत्तरी बंगाल के दौरान का प्लान बनाया. उन्होंने कहा कि मैं बैठक में जाती लेकिन उत्तरी बंगाल के दौरे का प्लान पहले से बना है. वहीं अभिषेक बनर्जी ने कांग्रेस को खरी खरी सुनाते हुए कहा है कि उसे (कांग्रेस) को पार्टी के भीतर की गुटबाजी खत्म करना चाहिए. 

सपा के साथ चुनाव पूर्व मनमुटाव
समाजवादी पार्टी से कांग्रेस का मनमुटाव मध्य प्रदेश चुनाव के पहले हुआ था. एमपी में समाजवादी पार्टी अपने कुछ कैंडिडेट संयुक्त रूप से खड़ा करना चाहती थी. लेकिन कांग्रेस की तरफ से दाल नहीं लगी. यूपी में भी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा था कि उनकी तैयारी राज्य की सभी 80 सीटों के लिए है. हालांकि बाद यह मामला सुलझता दिखा था. 

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती
खैर, चुनावी हार के बाद अब कांग्रेस के सामने यह चुनौती है कि वह कैसे अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ विवाद के मुद्दों को सुलझाती है और भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देती है. वैसे भी कांग्रेस ने चुनाव नतीजों के बाद कहा है कि नतीजे निराशाजनक हैं लेकिन वह निराश नहीं है. पार्टी जल्द ही 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग जाएगी. 

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