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उपराष्ट्रपति की मिमिक्री विवाद में 'जाटों' की एंट्री क्यों? जानें कहां निशाना साध रही BJP

Jat Vote Bank: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जाट समुदाय से हैं. भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस समुदाय का एकमुश्त वोट चाह रही है. इसके लिए पार्टी पहले भी जतन करती आई है. 

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उपराष्ट्रपति की मिमिक्री विवाद में 'जाटों' की एंट्री क्यों? जानें कहां निशाना साध रही BJP
Ronak Bhaira|Updated: Dec 21, 2023, 06:15 PM IST

नई दिल्ली: Jat Vote Bank: टीएमसी के लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की थी. फिर यह बड़ा मुद्दा बन गया. खुद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसे किसान कौम और अपनी जाति का अपमान बताया. सत्ताधारी दल भाजपा ने इस मुद्दे को जाट समाज से जोड़ दिया, इसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी पार्टियों को जाट विरोधी दिखाकर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी रणनीति तैयार कर रही है. 

क्या है भाजपा की रणनीति
दरअसल, देश में बड़ी संख्या में जाट समुदाय है. खासकर हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली में इस समाज की बड़ी तादाद है. जाटों का प्रभाव करीब 50 लोकसभा सीटों पर हैं. जहां ये हार-जीत तय करने की भूमिका में है. ऐसे में भाजपा जाटों को साधकर लोकसभा का रास्ता आसान करना चाह रही है. बीते कुछ समय से जाट कृषि कानूनों, पहलवानों के आंदोलन और अग्निपथ स्कीम के चलते नाराज हैं. अब भाजपा उन्हें वापस अपने पक्ष में करनी कोशिश कर रही है. 

किसका वोट बैंक रहे हैं जाट
जाट मूलतः कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं. आजादी के बाद से ही जाट समुदाय का रुझान कांग्रेस की ओर रहा है. लेकिन 1999 में जाटों का एक बड़ा धड़ा भाजपा के पक्ष में आया. सीकर में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने जाट समुदाय को आरक्षण देने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद जाट समुदाय ने भाजपा को झोली भरकर वोट दिया था. अब भाजपा यही चाह रही है कि फिर से वैसा ही समीकरण बैठाया जाए. इससे पहले धनखड़ को जगदीप धनखड़ को भी उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा ने इस समुदाय को साधने की कोशिश की थी. 

किन राज्यों में जाटों का कितना दम?
हरियाणा:
यहां की 27 फीसदी आबादी जाट समुदाय की है. 90 में से 37 विधानसभा सीटों पर जाटों का प्रभाव है. प्रदेश में 10 लोकसभा सीटें हैं.  CSDS-लोकनीति के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां के 50% जाटों ने भाजपा को वोट दिया था. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव भाजपा को JJP के साथ सरकार बनानी पड़ी. इसके बाद किसान आंदोलन और पहलवानों के मुद्दे पर भी जाटों ने नाराजगी दिखाई. 

राजस्थान: प्रदेश में जाटों की आबादी 20% के आसपास है. ये विधानसभा की 60 सीटों पर प्रभावी हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां 32 जाट विधायक चुनकर आए हैं. जाट यहां कि 8 से 10 लोकसभा सीटों को प्रभावित करते हैं. उपराष्ट्रपति धनखड़ भी यहां के झुंझुनूं जिले से आते हैं, जो शेखावाटी में आता है. यहां के जाट अग्निपथ स्कीम होने से नाराज हैं. शेखावाटी की 21 में से केव्ल्ट 7 ही सीटों पर भाजपा जीती है. 

उत्तर प्रदेश: उत्तरप्रदेश के 17 जिलों में करीब 15 प्रतिशत जाट आबादी है. ये 10-12 लोकसभा सीटों और 40 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में जाटों ने भाजपा को वोट दिया. जाट समुदाय की राजनीति करने वाले जयंत चौधरी की RLD को भी सपोर्ट नहीं किया. लेकिन राकेश टिकैत समेत खाप पंचायतों के कई नेता कृषि कानूनों के बाद भाजपा से दूरे हो गए. 

दिल्ली: यहां करीब 3% जाट मतदाता हैं. CSDS के सर्वे के मुताबिक, 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 54% जाटों ने वोट दिया. 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. यहां पर पार्टी जाट वोट बैंक में विस्तार चाह रही है. 

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