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आंखों में क्रिकेटर बनने का सपना सजाए मुंबई पहुंचे थे मैक मोहन, 'सांभा' बन पूरी दुनिया में हो गए मशहूर

फिल्म 'शोले' में सांभा बन अपने छोटे से रोल से ही पूरी फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हुए मैक मोहन ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह एक अभिनेता बनेंगे. दरअसल, वह तो आंखों में क्रिकेटर बनने का सपने सजाए मुंबई आए थे, लेकिन किस्मत ऐसी पलटी की उन्हें कलाकार बना दिया.

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आंखों में क्रिकेटर बनने का सपना सजाए मुंबई पहुंचे थे मैक मोहन, 'सांभा' बन पूरी दुनिया में हो गए मशहूर

Mac Mohan Death Anniversary Special: कहते हैं कि जो हमारी किस्मत में लिखा है, उसे कोई चाहकर भी मिटा नहीं सकता. यही तकदीर कब किसे कहां पहुंचा दे, कोईन नहीं जानता. ऐसा ही कुछ हुआ था मैक मोहन के साथ. फिल्म 'शोले' में सांभा का किरदार निभाकर पूरी फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हुए मैक मोहन को आज भी अक्सर लोग उनके इसी किरदार के नाम से याद करते हैं. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई शानदार किरदारों को बहुत खूबसूरती से पर्दे पर उतारा. हालांकि, उन्हें ज्यादातर साइड रोल्स में ही देखा गया. वहीं, कम ही लोग जानते हैं कि मैक कभी अभिनेता नहीं बनना चाहते थे.

क्रिकेटर बनना चाहते थे मैक मोहन

1938 में अविभाजित भारत के कराची शहर में जन्में मोहन मखीजानी को उनके दोस्त अक्सर मैक ही बुलाते थे. कहते हैं कि मैक के पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कर्नल की हैसियत से सेवारत थे. वह चाहते थे कि उनका बेटा भी बड़ा होकर आर्मी जॉइन कर देश की सेवा करे. मैक जब 2 साल के थे तभी उनके पिता का ट्रांसफर कराची से लखनऊ हो गया. इसके बाद मैक ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ से ही की. यहीं की गलियों में वह क्रिकेट खेला करते थे. वह जैसे-जैसे बड़े होते गए क्रिकेट के लिए उनका जुनून भी बढ़ता गया. उन्होंने फैसला कर लिया कि वह क्रिकेटर के तौर पर ही अपना करियर बनाएंगे.

कॉलेज किया करते थे नाटक

क्रिकेटर बनने का सपना सजाए वह मुंबई चले गए, क्योंकि उन दिनों मुंबई ही एकमात्र ऐसी जगह थी जहां क्रिकेट की अच्छी ट्रेनिंग मिलती थी. यहां उन्होंने जय हिन्द कॉलेज में एडमिशन ले लिया. कॉलेज के दिनों में वह क्रिकेट खेलने के साथ-साथ नाटकों में भी हिस्सा लेने लगे. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एक बाद एक्ट्रेस शौकत कैफी ने मैक की एक्टिंग देखी और उनकी खूब तारीफें की. उन्होंने मैक को सलाह दी कि वह बहुत अच्छी एक्टिंग करते हैं उन्हें इसे जारी रखना चाहिए. इसके बाद मैक मोहन अक्सर ही नाटकों में हिस्सा लेने लगे. फिर एक्टिंग की अच्छी तालीम के लिए उन्होंने इसे सीखना भी शुरू कर दिया और धीरे-धीरे इसी में रमते चले गए.

'शोले' ने बदली किस्मत

एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले उन्होंने अपने अभिनय को और निखारने के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया. इसके बाद 1964 में आई फिल्म 'हकीकत' से मैक मोहन ने बॉलीवुड में डेब्यू किया. उन्होंने लंबे फिल्मी करियर में करीब 200 फिल्मों में काम किया, लेकिन मैक को पहचान 'शोले' के सांभा के रूप में ही मिली. हालांकि, फिल्म बड़ी होने के कारण कई सितारों के डायलॉग्स और रोल काटे गए थे. इस बात से मैक काफी दुखी थे डायरेक्टर ने उनके सारे डायलॉग निकलवा दिए, लेकिन मैक अपने छोटे से रोल से ही दर्शकों के दिलों पर छा गए. मैक आज हमारे बीच न होते हुए भी अपनी एक्टिंग के दम पर दिलों में जिंदा रहेंगे. 10 मई, 2010 को उनका निधन हो गया. कहते हैं कि उन्हें फेफड़े में ट्यूमर हो गया था.

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