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Lata Mangeshkar Birthday: ...तो देश को कभी नहीं मिल पाती सुर सम्राज्ञी, इस डर के बावजूद लता मंगेशकर ने नहीं छोड़ी गायिकी

Lata Mangeshkar Birthday, Songs: लता मंगेशकर बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी जबरदस्त गायिकी के कारण वह दुनियाभर के लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी. हालांकि, उनके लिए यह सफर बिल्कुल आसान नहीं था.   

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Lata Mangeshkar Birthday: ...तो देश को कभी नहीं मिल पाती सुर सम्राज्ञी, इस डर के बावजूद लता मंगेशकर ने नहीं छोड़ी गायिकी

नई दिल्ली: Lata Mangeshkar Birth Anniversary, Songs: एक ऐसी आवाज जो धुंध छंटने पर अपनी ओर खींचती है. वो आवाज जो लोगों को रुलाती है. कभी प्यार तो कभी दुख साथ में बांटती है. उनकी आवाज ही उनकी पहचान है और वो कोई और नहीं सबकी प्यारी दीदी लता मंगेशकर हैं. भले ही वो अब अपना जन्मदिन हमारे बीच कभी नहीं मना पाएंगी लेकिन एक सच्चे फैन की तरह हर साल हम उनका जन्मदिन मनाते रहेंगे.

पिता के सामने नहीं गाती थीं
लता दीदी के घर में पहले से ही गाने का माहौल था. लता मंगेशकर के पिता एक ड्रामा कंपनी चलाते थे. उनसे संगीत सीखने के लिए बहुत से लोग आया करते थे.

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ऐसे में लता मंगेशकर उनके सामने गाने से हिचकती थीं. वो अपने घर के किचन के बर्तन स्टैंड पर चढ़ जातीं और खाना बना रही अपनी मां को गाना सुनाया करती थीं. मां कहती थीं-'सर मत खा चली जा यहां से'.

पांच साल की उम्र
एक दिन की बात है लता दीदी एक इंटरव्यू में बताती हैं कि एक दिन उनके पिता ने एक स्टूडेंट को कुछ सिखाया और रियाज करने के लिए कहकर बाहर चले गए. लता दीदी की उम्र पांच साल थी. वो गैलरी में खेल रही थीं. अचानक उन्हें उस स्टूडेंट के रियाज में कोई गलती दिखी तो अंदर जाकर उन्हें समझाने लगीं कि पिता जी ऐसे नहीं ऐसे गाते हैं. यही नहीं वो उस स्टूडेंट को गाकर भी सुनाने लगीं. इतने में पिता जी अंदर आ गए और लता जी वहां से भाग गई.

गवैया मिल गया
लता के उस कारनामे को देख उनके पिता जी काफी प्रभावित हुए. वो उनकी मां से कहते हैं कि घर में ही गवैया घूम रहा है और मैं यहां बाहर के लोगों को सीखा रहा हूं. दूसरे दिन सुबह 6 बजे लता मंगेशकर को उठाया गया और तानपुरा उठाकर पिता ने अपने सामने बिठा दिया. फिर क्या 9 साल की उम्र में उन्होंने पिता से उनके ही एक क्लासिकल प्रोग्राम में साथ में गाने की इच्छा जाहिर की. पिता ने पूछा क्या गाओगी? तो लता बोलीं कि 'जो खम्बावती राग आप सिखा रहे थे वही.'

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शो के दिन पहले लता को उनके पिता ने मंच पर भेजा. लता मंगेशकर ने गीत गाया दर्शकों को पसंद भी आया. बाद में पिता जी मंच पर आए उन्होंने गाना शुरू किया लेकिन लता वहीं उनके बोर्ड पर सिर रखकर सो गईं. यहीं से उनकी किस्मत जगी. लता दीदी ने पहला गाना एक मराठी फिल्म के लिए गाया. एक इंटरव्यू में बड़े मजाकिया अंदाज में कहती हैं कि 'ना ही वो फिल्म आई ना ही वो गाना'.

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