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Lata Mangeshkar Birth anniversary: राजनीति में नाम कमाना चाहती थीं लता मंगेशकर, इस शख्स के कहने पर छोड़ दिया था सपना

Lata Mangeshkar Birth anniversary: मेरी आवाज ही मेरी पहचान है...अगर याद रहे...जी हां, उनकी सुरीली आवाज ही उनकी पहचान है. हम बात कर रहे हैं स्वर कोकिला लता मंगेशकर की, जिनके गाने आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े रहते हैं. वह सिर्फ गायिका नहीं बल्कि भारत का रत्न थी और हमेशा रहेंगी.

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Lata Mangeshkar Birth anniversary: राजनीति में नाम कमाना चाहती थीं लता मंगेशकर, इस शख्स के कहने पर छोड़ दिया था सपना

नई दिल्ली:Lata Mangeshkar Birth anniversary: मध्यप्रदेश के इंदौर में 28 सितंबर 1929 को जन्मी लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं  हैं, लेकिन उनके गाने आज भई हमें उनकी मौजूदगी का एहसास दिलाते हैं. लता दीदी को संगीत विरासत में मिला था, क्योंकि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर एक्टर, म्यूजिशियन और वोकलिस्ट थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह सिंगर नहीं बल्कि राजनीति में अपना करियर बनाना चाहती थीं, लेकिन वीर सावरकर के कहने पर उन्होंने राजनीति को छोड़ दिया था.

वीर सावरकर ने दी थी सलाह

लता मंगेशकर की बायोग्राफी, लता: सुर-गाथा में इस किस्से का जिक्र किया गया है. लता दीदी देश की सेवा करना चाहती थीं. उन्होंने इस चीज के लिए प्रण भी ले लिया था. जब उन्होंने वीर सावरकर को बताया कि वह समाज सेवा के लिए राजनीति में आना चाहती हैं.  उनकी बात सुनकर वीर सावरकर ने उन्हें बड़ी सलाह दी. उन्होंने लता मंगेशकर से कहा कि तुम्हारे पिता का संगीत क्षेत्र में बहुत नाम है. उनकी तरह तुम भी संगीत के जरिए देश की सेवा कर सकती हो.  जिसके बाद लता दीदी ने राजनीति में न आने का फैसला किया.

दिलीप कुमार की बदौलत सीखी उर्दू-हिंदी भाषा

लता दीदी का पालन-पोषण मुंबई में हुआ था. यही कारण था कि उनकी बोलचाल की भाषा मराथी थी. वह हिंदी साफ तरीके से नहीं बोल पाती थी. जब उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए गाना शुरू किया था, तो लोग उन्हें मराठी होने के ताने मारते थे.

इसके बात जब लता मंगेशकर दिलीप कुमार से मिली तो उन्होंने उनका गाना सुनकर कहा कि मराठी लोगों की बोली में थोड़ी दाल-भात की बू आती है. लता दीदी को ये बात बहुत बुरी लगी और उन्होंने जिद में उर्दू और हिंदी सीखी. 

राजा जी के प्यार में दीवानी हुई लता मंगेशकर

लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की थी. कहा जाता है कि लता जी को डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह से मोहब्बत हो गई थी. लेकिन महाराज ने अपने माता पिता से वादा किया था कि वो किसी भी आम घर की लड़की को उनके घर की बहू नहीं बनाएंगे. इसी वजह से उन्होंने लता जी से शादी नहीं की थी. लेकिन उन्होंने कभी किसी और से भी शादी नहीं की न ही लता दीदी ने किसी और को अपना हमसफर बनाया.

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