trendingNow1zeeHindustan1446538
Hindi news >> Zee Hindustan>> Zee Hindustan Entertainment

Drishyam 2 review: 7 साल बाद विजय सलगांवकर की पर्दे पर हुई धांसू एंट्री, पैसा वसूल है अजय देवगन की 'दृश्यम-2'

Drishyam 2 review: 7 साल बाद फाइनली अजय देवगन स्टारर फिल्म 'दृश्यम-2' दर्शकों के बीच अपना जादू चलाने के लिए रिलीज हो चुकी है. फैंस को फिल्म का बेसब्री से इंतजार था,तो कैसी है अजय देवगन की फिल्म और इसमें क्या-क्या है खास आइए आपको बताते हैं.   

Advertisement
Drishyam 2 review: 7 साल बाद विजय सलगांवकर की पर्दे पर हुई धांसू एंट्री, पैसा वसूल है अजय देवगन की 'दृश्यम-2'

नई दिल्ली:Drishyam 2 review: अजय देवगन (Ajay devgn) तबु (tabu) स्टारर फिल्म 'दृश्यम-2' फाइनली आज रिलीज हो चुकी है. फिल्म का पहले पार्ट 7 साल पहले रिलीज हुआ था. 'दृश्यम' को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला था. मेकर्स को उम्मीद है कि फिल्म के पार्ट 2 को भी दर्शक काफी पसंद करेंगे और कही न कहीं उनका अंदाजा सही भी है. अजय की फिल्म पैसा वसूल है. फिल्म का क्लाइमैक्स आपके होश उड़ा देगा.

फिल्म की कहानी, डायरेक्शन, स्टार्स की एक्टिंग हर चीज परफेक्ट.विजय सलगांवकर की स्मार्टनेस आपका दिल जीत लेगी, साथ ही सोचने पर मजबूर कर देगी कि चौथी फेल एक आम आदमी का दिमाग इतनी तेजी से काम कैसे कर सकता है?

कहानी 

गोवा में रहने वाले विजय सलगांवकर और उनकी फैमिली के साथ हुआ 2 अक्टूबर 2014 के उस हादसे से तो आप वाकिफ ही हैं. 'दृश्यम 2' की कहानी सात साल बाद वहीं से शुरू होती है. विजय का परिवार आज भी उस रात के हादसे से सहमा हुआ है. पूरे समाज में परिवार को लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं. भले ही सात साल की वक्त बीत गया हो, इस परिवार के लिए आज भी कुछ नहीं बदला है.

छोटे-मोटे बदलाव जरूर हुए हैं, जैसे विजय इस बीच केबल ऑपरेटर से एक थिएटर का मालिक बन चुका है. विजय अब फिल्म प्रोड्यूस करना चाहता है, जिसके लिए वह एक कहानी लिखता है और उसे सौरभ शुक्ला के पास लेकर जाता है, जो फिल्म में राइटर और डायरेक्टर की भूमिका में हैं. 

fallback

हालांकि विजय अपनी लिखी फिल्म के क्लाइमैक्स से खुश नहीं है, इसलिए वह उस पर दोबारा काम करता है, जिसमें 2 से 3 साल का समय लगता है, और यहीं से शुरू होती है कहानी. वहीं दूसरी ओर बड़ी बेटी अंजू (इशिता दत्ता) को उस हादसे की वजह से एंग्जायटी अटैक आने लगते हैं. नंदनी सलगांवकर (श्रेया सरन) पुलिस को देखकर डरी और सहमी रहती हैं. अक्षय खन्ना,जो मीरा(तबु) के दोस्त भी हैं. उनकी गोवा में आईजी के रुप में एंट्री होती है.

उनके आने के बाद केस रिवाइव होता है, और पुलिस दोबारा लाश को खोजने में लग जाती है. पुलिस इस बार पूरी तैयारी के साथ विजय के परिवार का पर्दाफाश करने का प्लान बनाती है. क्या इस बार पुलिस हो पाएगी कामयाब? क्या विजय के परिवार का सच आएगा सामने? क्या होगी विजय की अगली चाल? मीरा देशमुख को पता चल पाएगा बेटे की मौत का सच? अब इन सारे सवालों का सच जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

डायरेक्शन

फिल्म के पहले पार्ट को निशिकांत कामत ने डायरेक्ट किया था. उनकी की मौत के बाद अभिषेक पाठक ने फिल्म के सीक्वल को डायरेक्ट किया है. मलयालम फिल्म के हिट होने के बाद और फिल्म के पहले पार्ट के हिट के होने के बाद डायरेक्टर पर प्रेशर बहुत ज्यादा रहा होगा. कहना गलत नहीं होगा की पाठक जी ने अपना काम बहुत ईमानदारी से किया है.

fallback

में ऐसे कई मोमेंट्स हैं, जहां आप ताली और सीटी बजाने पर मजबूर हो जाएंगे. फिल्म का क्लामैक्स इसकी जान है, जो आपका दिल जीत लेगा. वहीं कोर्ट रूम ड्रामा, परिवार पर हाथ उठाती पुलिस जैसे कुछ सीन्स आपको हैरान कर देंगे. फर्स्ट हाफ थोड़ा धीमा जरूर है, लेकिन पूरी फिल्म आपको सीट पकड़े रखने के लिए मजबूर कर देगी. फिल्म आपको कई जगह हंसाती है तो कई जगह चौंकाती है. 

टेक्निकल 

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर इसकी आत्मा है. हर सीक्वेंस दिलचस्प बनाने का काम करता है. सिनेमैटोग्राफर सुधीर के चौधरी ने अपनी कलाकारी दिखाते हुए गोवा के कई लोकेशन को बड़ी खूबसूरती से दिखाया है.

fallback

वहीं फिल्म में कुछ क्लोजअप शॉट्स के एंगल स्क्रीन पर थोड़ से अतरंगे लगते हैं. उन सीन्स पर और काम किया जा सकता था. वहीं फिल्म के शुरुआती 20 मिनट को एडिटर संदीप फ्रांसिस थोड़ा और मजेदार बनाते तो फिल्म 100 में 100 नंबर ला सकती थी. फिलहाल 95 भी बुरा स्कोर नहीं है.

एक्टिंग 

अजय देवगन और तबु जब भी स्क्रीन पर एक साथ आते हैं,तो मैजिक क्रिएट होता ही होता है. हालांकि इस बार फिल्म में तबु की एक्टिंग ने उतना प्रभावित नहीं किया है. अक्षय खन्ना की एंट्री तो धमाकेदार है, पर वह किरदार से अपनी छाप छोड़ने में उतना कामयाब नहीं हुए हैं.

इंस्पेक्टर गायतोंडे के रूप में कमलेश सावंत आपका दिल जीत लेंगे. सौरभ शुक्ला का इस फिल्म की बेहद अहम कड़ी हैं. उन्होंने अपने किरदार में जान डाल दी है. जब कि रजत कपूर को स्क्रीन स्पेस उतना नहीं मिला है. फिल्म में इशिता दत्ता और और मृणाल बेहद कॉन्फिडेंट नजर आई हैं. श्रेया सरन ने भी दमदार भूमिका अदा की है.

क्यों देखें या न देखें फिल्म

अगर आपने इस फिल्म का साउथ वर्जन देखा है, तो फिल्म आपको थोड़ी कम सप्राइजिंग लगेगी, लेकिन अगर आप सिनेमा लवर हैं, तो फिल्म फुलटू पैसा वसूल है. इस फिल्म में भरपूर सस्पेंस और ड्रामा मिलेगा. फिल्म को आप अपनी फैमिली संग बिना की झिझक के देख सकते है.

ये भी पढ़ें- सोने के सिक्के, हीरों से जड़ा हार लेकर जब इस डायरेक्टर की पत्नी के पास पहुंची थीं नयनतारा, प्यार में की थीं सारी हदें पार

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

Read More
googletag.cmd.push(function() { googletag.display(interstitialSlot)})