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जिसका कांग्रेस में हुआ सबसे ज्यादा विरोध, उसी ने किया सबसे ज्यादा समय तक पार्टी पर राज

कांग्रेस पार्टी पर सबसे ज्यादा लंबे समय तक किसने राज किया? इस सवाल का जवाब हर कोई तलाशना चाहता है, मगर क्या आपको ये मालूम है कि जिसका पार्टी में सबसे ज्यादा विरोध हुआ था, उसी के हाथों में कांग्रेस की बागडोर सबसे ज्यादा अधिक समय तक रही.

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जिसका कांग्रेस में हुआ सबसे ज्यादा विरोध, उसी ने किया सबसे ज्यादा समय तक पार्टी पर राज

नई दिल्ली: कांग्रेस का अध्यक्ष कौन बनेगा ये आज तय हो जाएगा. चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने हैं, लेकिन खड़गे की जीत तय बताई जा रही है, क्योंकि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है. इन सबके बीच एक सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी पर सबसे अधिक समय तक शासन किसने किया है?

सबसे लंबे समय तक किसने संभाली कांग्रेस की कमान?
किस नेता ने कांग्रेस पर सबसे लंबे सबय तक राज किया? इस सवाल का जवाब जितना दिलचस्प है, उससे भी ज्यादा रोचक बात ये है कि उस नेता का कांग्रेस पार्टी में सबसे ज्यादा विरोध हुआ. हालांकि विरोधियों का हश्र क्या हुआ, ये भी अपने आप में एक इतिहास है. जिस-जिसने विरोध किया या तो वो अपनी पार्टी बनाकर सियासी दांव आजमाने लगे या फिर पार्टी से ही बाहर हो गए.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि गांधी परिवार के सदस्यों ने कांग्रेस पर सबसे ज्यादा हक जमाए रखा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी, या इंदिरा के बेटे राजीव गांधी ने कांग्रेस पर सबसे लंबे समय तक राज किया. तो गांधी परिवार का बेटा या बेटी नहीं ये जिम्मेदारी गांधी परिवार की बहू ने संभाली. सोनिया गांधी कांग्रेस पर सबसे अधिक समय तक राज करने वाली नेता हैं.

सोनिया के राजनीति में आने से नाराज हो गए कई नेता
राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया गांधी ने जब सियासत में कदम रखा, तो कई दिग्गज नेताओं ने उनका विरोध किया. उन्हें विदेशी कहकर पुकारने की प्रथा का चलन तेज हो गया. कांग्रेस में अंतर्कलह का दौर शुरू हो गया. इनमें कुछ दिग्गजों ने पार्टी छोड़ दी, अपनी पार्टी बना ली. लेकिन सोनिया गांधी ने हार नहीं मानी.

उन्होंने पहली बार साल 1998 में पार्टी की कमान संभाली. उस वक्त सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. 1998 के बाद मानो कांग्रेस में सोनिया युग की शुरुआत हो गई, जो चलती रही-चलती रही-चलती रही... हालांकि बीच में दो साल के लिए गांधी परिवार के युवराज के नाम से मशहूर सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी के हाथों में पार्टी की कमान सौंपी गई थी. मगर उन्होंने खुद अपने हथियार डाल दिए.

पार्टी अध्यक्ष का ये चुनाव निश्चित तौर पर ऐतिहासिक है, क्योंकि नया अध्यक्ष, सोनिया गांधी का स्थान लेगा जो सबसे लंबे समय तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं. सोनिया गांधी ने 1998 में पार्टी की कमान संभाली.

सोनिया गांधी का कार्यकाल
पहला कार्यकाल: 1998-2001
दूसरा कार्यकाल: 2001-2004
तीसरा कार्यकाल: 2004-2006
चौथा कार्यकाल: 2006-2010
पांचवां कार्यकाल: 2010- 2017
छठा कार्यकाल: 2019-2022 (अंतरिम अध्यक्ष)

आजादी के बाद सितारमैया ने 1948 में एआईसीसी प्रमुख का पद संभाला था और अभी तक 17 लोगों ने पार्टी की अगुवाई की है, जिनमें से पांच गांधी परिवार के सदस्य रहे हैं. सितारमैया से पहले 1947 में आचार्य कृपलानी अध्यक्ष रहे. 1950 में टंडन पार्टी प्रमुख बने, जिसके बाद 1951 और 1955 के बीच नेहरू अध्यक्ष बने. नेहरू के बाद यू एन ढेबर ने पार्टी की कमान संभाली थी.

इंदिरा गांधी 1959 में कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और उनके बाद एन एस रेड्डी ने 1963 तक यह जिम्मेदारी संभाली. के. कामराज 1964-67 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे जबकि एस निजालिंगप्पा 1968-69 तक इस पद पर रहे. जगजीवन राम 1970-71 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे और फिर डॉ. शंकर दयाल शर्मा 1972-74 तक इस पर पर रहे.

देवकांत बारुआ 1975-77 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे. फिर 1977-78 में के. ब्रह्मानंद रेड्डी कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इंदिरा गांधी फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 1978-84 तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रही. 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इसके बाद 1992-96 तक पी वी नरसिंह राव कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इसके बाद केसरी ने कमान संभाली और उनके बाद सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बनीं. 2017 में राहुल गांधी अध्यक्ष बने और फिर 2019 में सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनीं.

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