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One Nation One Election का क्या है अर्थ, जानें 5 बड़े फायदे और नुकसान

One nation One election: 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की संभावना तलाशने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. अगर एक देश-एक कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन करने होंगे. 

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One Nation One Election का क्या है अर्थ, जानें 5 बड़े फायदे और नुकसान

नई दिल्ली: One nation One election: केंद्र सरकार के एक कदम से देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. केंद्र 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की संभावना तलाश रहा है. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक पैनल के सदस्यों पर एक अधिसूचना बाद में जारी की जाएगी.

क्या है एक राष्ट्र एक चुनाव का अर्थ
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने से है. इसका अर्थ यह है कि पूरे भारत में लोकसभा और सभी राज्य की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे.

क्या होंगे 5 बड़े फायदे
-अलग-अलग चुनावों में होने वाली लागत में कटौती होगी. 
-एक अनुमान के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. 
-समर्थकों का तर्क है कि इससे पूरे देश में प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर होगी 
-केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों और कार्यक्रमों में निरंतरता 
-विधि आयोग ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से मतदाता मतदान में वृद्धि होगी 

कमियां
-एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर एक देश-एक कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन किए जाने चाहिए. 
-क्षेत्रीय दलों का बड़ा डर यह है कि वे अपने स्थानीय मुद्दों को मजबूती से नहीं उठा पाएंगे, राष्ट्रीय मुद्दे केंद्र में आ जाएंगे. 
-क्षेत्रीय दल चुनावी खर्च और चुनावी रणनीति के मामले में भी राष्ट्रीय पार्टियों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे.
-एक सर्वे में पाया गया कि 77 फीसदी संभावना है कि वोटर्स विधानसभा और लोकसभा में एक ही राजनीतिक दल या गठबंधन को चुनेंगे. हालाँकि, यदि चुनाव छह माह के अंतर पर होते हैं, तो केवल 61 फीसद मतदाता एक ही पार्टी को चुनेंगे.

कल सूत्रों के हवाले से ये खबर आई थी कि केंद्र सरकार संसद के विशेष सत्र के दौरान 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पेश कर सकती है. आपको बता दें कि अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो ऐसा पहली बार नहीं होगा. इससे पहले भारत में 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा व सभी विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए गए थे.

5 दिनों का विशेष सत्र
बता दें कि 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. इस बार यह पांच दिनों का पूर्ण सत्र होगा और दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग होगी जैसा कि वे आमतौर पर सत्र के दौरान करते हैं. इससे पहले 2017 30 जून की आधी रात को जीएसटी लागू करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की विशेष संयुक्त बैठक बुलाई थी. 

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