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Karnataka Election 2023: उत्तर कर्नाटक में आसान नहीं दिख रही बीजेपी की राह, सीटें कम होने की ओर इशारा कर रहे ये फैक्टर

Karnataka Election 2023: कर्नाटक में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी दल अपनी-अपनी तरफ से जोर लगा रहे हैं. उत्तर कर्नाटक का क्षेत्र, जहां 90 विधानसभा सीटें हैं, वहां अभी बीजेपी के पास 52, कांग्रेस के पास 32 और जद (एस) के पास 6 सीटें हैं. इस चुनाव में जहां बीजेपी इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की कोशिश में है, वहीं कांग्रेस पिछले बार से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद के साथ जोर लगा रही है. 

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Karnataka Election 2023: उत्तर कर्नाटक में आसान नहीं दिख रही बीजेपी की राह, सीटें कम होने की ओर इशारा कर रहे ये फैक्टर

नई दिल्लीः Karnataka Election 2023: कर्नाटक में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी दल अपनी-अपनी तरफ से जोर लगा रहे हैं. उत्तर कर्नाटक का क्षेत्र, जहां 90 विधानसभा सीटें हैं, वहां अभी बीजेपी के पास 52, कांग्रेस के पास 32 और जद (एस) के पास 6 सीटें हैं. इस चुनाव में जहां बीजेपी इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की कोशिश में है, वहीं कांग्रेस पिछले बार से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद के साथ जोर लगा रही है. 

कांग्रेस-बीजेपी के बीच है सीधी टक्कर
उत्तर कर्नाटक के क्षेत्र में बेलगावी, बागलकोट, बीजापुर, कलबुर्गी, यादगीर, गदग, धारवाड़, हावेरी, बीदर, रायचूर, कोप्पल, विजयनगर और बेल्लारी जिले शामिल हैं. यहां ज्यादातर जगहों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है.

बीजेपी को केकेआरपी से मिल रही चुनौती
इस क्षेत्र में खनन दिग्गज से राजनेता बने जनार्दन रेड्डी की ओर से गठित कल्याण कर्नाटक राज्य पक्ष (केकेआरपी) से भाजपा को चुनौती मिल रही है. कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी के हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में भाजपा वोट बैंक को प्रभावित करने की संभावना है, जिसे कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. इससे बेल्लारी, रायचूर, कोप्पल, यादगीर और विजयनगर जिलों में लड़ाई तेज हो जाएगी.

कांग्रेस को इस इलाके से हैं काफी उम्मीदें
इसी तरह श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने बीजेपी को हराने का संकल्प लिया है. उत्तर कर्नाटक क्षेत्र के हिंदू कार्यकर्ताओं के बीच उनका काफी प्रभाव है, यह बीजेपी के लिए झटका साबित हो सकता है. वहीं, कांग्रेस को इस क्षेत्र से खासी उम्मीदें हैं. इसकी वजह पंचमसाली आंदोलन और प्रभावशाली लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होना है. 

वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से इस क्षेत्र में उत्पीड़ित वर्गों के वोट प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी, जो बड़ी संख्या में हैं.

'बीजेपी से नाराज है लिंगायत समुदाय'
राजनीतिक विश्लेषक बसवराज सुलिभवी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि लिंगायत समुदाय जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के साथ भाजपा के व्यवहार से नाराज है. इसके कारण लिंगायत वोटों का लगभग 20 प्रतिशत स्थानांतरित हो जाएगा. उन्होंने समझाया कि अगर कांग्रेस पूरे उत्तर कर्नाटक में उनका इस्तेमाल करती है और वे क्षेत्र में अपने अपमान की कहानी सुनाते हैं, तो लिंगायत मतदाता काफी हद तक कांग्रेस की ओर मुड़ जाएंगे. 

लिंगायत वोटों में होगा बंटवाराः विश्लेषक
उन्होंने कहा, क्षेत्र के लोगों को पहले से ही यह लग रहा है कि भाजपा की ओर से उनके नेताओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें बर्बाद किया जा रहा है. लिंगायत समुदाय आज तक येदियुरप्पा के पीछे मजबूती से खड़ा है. पिछले चुनाव में 90 फीसदी लिंगायत वोट बीजेपी को गए थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा और कम से कम 30 फीसदी वोटों का बंटवारा होगा.

'ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता विरोधी लहर का सामना करेगी बीजेपी'
बेलागवी जिला कन्नड़ संगठन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष और कार्यकर्ता अशोक चंद्रागी ने आईएएनएस से कहा कि भाजपा को क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा. शेट्टार और सावदी के शामिल होने से कांग्रेस कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र की 56 विधानसभा सीटों में से 40 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी.

1985 के बाद कर्नाटक में कोई भी पार्टी सत्ता में दोबारा नहीं लौटी 
अशोक चंद्रागी कहते हैं कि एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह है कि 1985 के बाद कर्नाटक में कोई भी पार्टी सत्ता में दोबारा नहीं लौटी है. दिवंगत रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में जनता दल सरकार 139 सीटें जीतने में सफल रही थी. उन्होंने कहा कि अगर येदियुरप्पा को उम्र के कारण हटाया गया, तो पार्टी अब उन्हें क्यों आगे कर रही है.

उन्होंने कहा कि शेट्टार बनजीगा उप जाति से संबंध रखते हैं और भाजपा बीजापुर, धारवाड़, कलबुर्गी और बागलकोट जिलों में कम से कम 25 निर्वाचन क्षेत्रों में इसका प्रभाव देखेगी.

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