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कैसी है भूपेंद्र पटेल की नई टीम? इन 16 मंत्रियों के हाथ में गुजरात की बागडोर

Gujarat Ministers List and bio: गुजरात में भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में दोबारा सरकार बन चुकी है. भूपेंद्र 2.0 में शामिल मंत्रियों के बारे में जानिए..

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कैसी है भूपेंद्र पटेल की नई टीम? इन 16 मंत्रियों के हाथ में गुजरात की बागडोर

नई दिल्ली: गुजरात की राजधानी गांधीनगर में सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 16 मंत्रियों ने शपथ ली. इनमें आठ मंत्री कैबिनेट रैंक के हैं.

भूपेंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को जानिए
कनूदेसाई: 71 वर्षीय देसाई वलसाड जिले के पारदी से तीन बार के विधायक हैं. वह भूपेंद्र पटेल की अगुवाई वाली पिछली सरकार में वित्त, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल मंत्री थे. वह पिछले तीन विधानसभा चुनावों- 2012, 2017 और 2022 - में पारदी से चुने गए हैं. देसाई ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल के करीबी माने जाते हैं.

ऋषिकेश पटेल: उत्तरी गुजरात के मेहसाणा जिले की विसनगर सीट से चार बार के विधायक पटेल पिछली भूपेंद्र पटेल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. उन्होंने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और निर्माण व्यवसाय में हैं.

राघवजी पटेल: पिछली भूपेंद्र पटेल सरकार में कृषि मंत्री रहे 64 वर्षीय राघवजी पटेल जामनगर ग्रामीण सीट से विधायक हैं. वह पहले कांग्रेस से जुड़े रहे थे. राघवजी पटेल वर्ष 2012 में कांग्रेस की टिकट पर जामनगर ग्रामीण सीट से विधानसभा पहुंचे थे. वह 2017 के चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे

बलवंत सिंह राजपूत: कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले 60 वर्षीय राजपूत 2012 में पाटन जिले के सिद्धपुर से विधानसभा के लिए चुने गए थे. वह 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे. हालांकि, वह 2017 में चुनाव हार गए थे, लेकिन इस बार विधायक चुने गए हैं. वह गोकुल समूह की कंपनियों के मालिक हैं.

कुंवरजी बावलिया: राजकोट जिले की जसदान सीट से सात बार के विधायक और कोली समुदाय के एक प्रमुख नेता बावलिया भी कांग्रेस से जुड़े रहे थे. 67 वर्षीय नेता ने 2017 में पांचवें कार्यकाल के लिए कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने के बाद 2018 में भाजपा का रुख किया था. भाजपा के टिकट पर 2018 के उपचुनाव में फिर से चुने जाने के बाद बावलिया को तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.

मुलु बेरा: 57 वर्षीय बेरा ने हाल ही में हुए चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी और खंभालिया से मौजूदा कांग्रेस विधायक विक्रम एम. को हराया. बेरा इससे पहले 2007 से 2017 तक भाजपा सरकार में मंत्री थे.

कुबेर डिंडोर: 52 वर्षीय डिंडोर एक आदिवासी नेता हैं जो महिसागर जिले की संतरामपुर (अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित) विधानसभा सीट से चुने गए. वह भूपेंद्र पटेल की पिछली सरकार में राज्य मंत्री थे.

भानुबेन बावरिया: 47 वर्षीय बावरिया आरक्षित सीट राजकोट ग्रामीण से तीसरी बार विधायक चुनी गई हैं. वह भूपेंद्र पटेल की अगुवाई वाली नयी सरकार में एकमात्र महिला मंत्री हैं.

भूपेंद्र सरकार के राज्य मंत्रियों को जानिए
हर्ष सांघवी (राज्य मंत्री): सूरत के एक जैन परिवार से ताल्लुक रखने वाले सांघवी (37) तीन बार के भाजपा विधायक हैं. वह 2012 से सूरत शहर की मजुरा विधानसभा सीट से जीतते आ रहे हैं. सांघवी को भाजपा की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सी.आर. पाटिल का करीबी माना जाता है.

जगदीश विश्वकर्मा: अहमदाबाद जिले की निकोल सीट से भाजपा विधायक जगदीश विश्वकर्मा पहले अहमदाबाद शहर के भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं. वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे.

पुरुषोत्तम सोलंकी: भावनगर ग्रामीण सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सोलंकी गुजरात में कोली समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं. छह बार विधायक चुने गए सोलंकी कई मुख्यमंत्रियों की सरकार में मंत्री पद संभाल चुके हैं.

बच्चूभाई खाबाद: तीन बार के भाजपा विधायक खाबाद कोली समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और 2012 से दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया से जीत रहे हैं. वह विजय रूपाणी सरकार में मंत्री रहे थे.

मुकेश पटेल: सूरत जिले की ओलपाड सीट से तीन बार के विधायक पटेल भूपेंद्र पटेल की अगुवाई वाली पिछली सरकार में भी मंत्री थे.

प्रफुल्ल पंशेरिया: पाटीदार बहुल सीट कामरेज से 2012 में विधायक रहे. वर्ष 2022 में भाजपा ने मौजूदा विधायक वी.डी. जलवाडिया की जगह पंशेरिया को कामरेज से चुनावी मैदान में उतारा.

कुंवरजी हलपति: दक्षिण गुजरात के प्रमुख आदिवासी नेता हलपति ने हालिया चुनाव में मांडवी (एससी) सीट से मौजूदा कांग्रेस विधायक आनंद चौधरी को हराया.

भीखूसिंह परमार: परमार अरवल्ली जिले के एक अनुभवी नेता हैं, जो हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में सफलता का स्वाद चखने से पहले तीन चुनाव हार गए थे. वह सहकारी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में सबर डेयरी के निदेशक हैं.

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