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Barmer Lok Sabha Seat: रविंद्र सिंह भाटी से पहले जसवंत सिंह ने भी BJP से की बगावत, ये हुआ था हाल...

Barmer Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बाड़मेर लोकसभा सीट पर वोटिंग हो रही है. यहां से रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, इससे पहले 2014 में जसवंत सिंह भी निर्दलीय ही लड़े थे.

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Barmer Lok Sabha Seat: रविंद्र सिंह भाटी से पहले जसवंत सिंह ने भी BJP से की बगावत, ये हुआ था हाल...
Ronak Bhaira|Updated: Apr 26, 2024, 10:52 AM IST

नई दिल्ली: Barmer Lok Sabha Chunav 2024: बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर आज (25 अप्रैल) मतदान हो रहा है. यहां पर भाजपा के प्रत्याशी कैलाश चौधरी, कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. ठीक ऐसा ही मुकाबला साल 2014 में भी हुआ था, जब भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. 

वसुंधरा को CM बनाने में जसवंत सिंह का हाथ रहा
पूर्व CM वसुंधरा राजे को राजस्थान की राजनीति में सिरमौर पद पर पहुंचाने का श्रेय पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत और जसवंत सिंह को जाता है. साल 2003 में विधानसभा चुनाव से पहले जसवंत सिंह ने ही तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी के पास वसुंधरा को CM पद का चेहरा घोषित करने की पैरवी की थी. 

वसुंधरा और जसवंत सिंह के रिश्तों में खटास
हालांकि, वसुंधरा के CM बनने के बाद दोनों के रिश्तों में खटास आ गई. वसुंधरा ने जसवंत सिंह को तवज्जो नहीं दे. कहा जाता है कि उस वक्त वसुंधरा राजे ने जसवंत सिंह को इस कद्र दरकिनार किया कि उनके फोन तक नहीं उठाए. इसी बीच जोधपुर में एक व्यक्ति ने वसुंधरा राजे का मंदिर बनाना शुरू किया. इसे जसवंत की पत्नी शीतल कंवर खफा हुईं. उन्होंने इसे देवो-देवताओं का अपमान बताया और मुकदमा दर्ज करवा दिया. 

अफीम का किस्सा
जसवंत सिंह ने अपने पैतृक गांव जसोल में एक समारोह आयोजित किया. इसमें भाजपा के कुछ नेता शामिल हुए. मारवाड़ के इलाके में अफीम की डली से मनुहार की परंपरा पुरानी है. हालांकि, अफीम बैन थी. वसुंधरा को इसी भनक लग गई, आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. इस के बाद राजे और जसवंत सिंह में दूरियां और बढ़ गईं.

वसुंधरा ने कटवा दिया टिकट
इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में वसुंधरा ने जसवंत सिंह को सियासी पटखनी देने के लिए बड़ी चाल चली. दरअसल, जसवंत सिंह ने पहले ही कह दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा. उन्होंने बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. लेकिन ऐन टाइम पर वसुंधरा ने कांग्रेस के सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी को भाजपा जॉइन करा दी और आलाकमान पर दबाव बनाकर टिकट भी दिलवा दी. जसवंत सिंह को झटका लगा, उन्होंने कहा- मेरी पीठ में छूरा घोंपा गया है. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. 

ये रहा चुनाव का परिणाम
इस सीट से कांग्रेस ने हरीश चौधरी और भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को टिकट दिया. जसवंत सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे. ठीक इस बार की तरह ही दोनों पार्टियों ने जाट उम्मीदवार उतारे और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी क्षत्रिय थे. भाजपा के कर्नल सोनाराम चौधरी को 4.87 लाख वोट मिले, वे जीत गए. दूसरे नंबर पर जसवंत सिंह रहे, उन्हें करीब 4 लाख वोट पाए. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के हरीश चौधरी रहे, उन्हें 2.20 लाख वोट ही मिले. 

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