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Shradh Date 2023: इस दिन से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध, पितरों के लिए अवश्य करें ये शुभ काम

Shradh Date 2023: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को महत्वपूर्ण माना गया है. इन्हें ज्यादातर लोग श्राद्ध के नाम से भी जानते हैं, जो 16 दिन चलते हैं. माना जाता है कि इन दिनों में पितर धरती पर आते हैं.  

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Shradh Date 2023: इस दिन से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध, पितरों के लिए अवश्य करें ये शुभ काम

नई दिल्ली: 29 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है और ये 14 अक्टूबर तक रहेगा. पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. पितृ पक्ष में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजन किया जाता है और उनके प्रति आदर-भाव प्रकट करते हैं. पितृ पक्ष या श्राद्ध 16 दिनों के होते हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि साल 2023 में श्राद्ध 29 सितंबर से शुरू होंगे और इनका समापन 14 अक्टूबर को होगा.

पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या को समापन होता है. मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने गरुड़ देव को पितृ पक्ष का महत्व बताया था. महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह और युधिष्ठिर के संवाद बताए गए हैं. इन संवादों में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि श्राद्ध कर्म की शुरुआत कैसे हुई? भीष्म पितामह ने बताया था कि प्राचीन समय में सबसे पहले महर्षि निमि को अत्रि मुनि ने श्राद्ध का ज्ञान दिया था. इसके बाद निमि ऋषि ने श्राद्ध किया और उनके बाद अन्य ऋषियों ने भी श्राद्ध कर्म शुरू कर दिए. इसके बाद श्राद्ध कर्म करने की परंपरा प्रचलित हो गई.

श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का अर्थ

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पितृ पक्ष में घर-परिवार के मृत पूर्वजों को श्रद्धा से याद किया जाता है और इसे ही श्राद्ध कहा गया है. पिंडदान करने का मतलब ये है कि हम पितरों के लिए भोजन दान कर रहे हैं. तर्पण करने का अर्थ यह है कि हम जल का दान कर रहे हैं. इस तरह पितृ पक्ष में इन तीनों कामों का महत्व है. पितृ पक्ष में किसी गौशाला में गायों के लिए हरी घास और उनकी देखभाल के लिए धन का दान करना चाहिए. किसी तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं. घर के आसपास कुत्तों को भी रोटी खिलानी चाहिए. इनके साथ ही कौओं के लिए भी घर की छत पर भोजन रखना चाहिए. जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाएं. किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें. इन दिनों भागवत गीता का पाठ करना चाहिए.

भोजन के पांच अंश  

डॉ अनीष व्यास का कहना है कि पितृपक्ष में ऐसा माना जाता है कि इस दौरान हमारे पितर धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं.  पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. हमारे पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं और गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं. श्राद्ध के समय पितरों के लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूरा होता है.

श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के 5 अंश निकाले जाते हैं गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए. कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है.

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इन वस्तुओ का करे दान:- 

1. गाय का दान- धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है.

2. तिल का दान- श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है. इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है.

3. घी का दान- श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है.

4. अनाज का दान- अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए. इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है. यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है.

5. भूमि दान- अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है. किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं.

6. वस्त्रों का दान- इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है. यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए.

7. सोने का दान- सोने का दान कलह का नाश करता है. किंतु, अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं.

8. चांदी का दान- पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है.

9. गुड़ का दान- गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है.

10. नमक का दान- पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है.

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