नई दिल्लीः Baglamukhi Jayanti 2024: आज बगलामुखी जयंती है. यह हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है. मान्यता है कि जो लोग सच्चे मन से देवी बगलामुखी की आराधना करते हैं, उन्हें जीवन में कभी भी किसी तरह की समस्या नहीं होती है. सनातन धर्म में देवी बगलामुखी की पूजा का विशेष महत्व है. देवी की पूजा खासतौर पर कोर्ट-कचहरी और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए की जाती है.
देवी को बगलामुखी, पीतांबरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है. मां बागलमुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में सहायता करती हैं. मां बगलामुखी की पूजा दस महाविद्या के रूप में भी की जाती है.
देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है. उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं. माता संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं. शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है और भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक में अजेय हैं. वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है.
15 मई को ब्रह्म मुहूर्त का आरंभ प्रात: काल 4:13 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन सुबह 5:01 मिनट पर होगा. इस शुभ मुहूर्त में आप मां बगलामुखी की उपासना कर सकते हैं. मां बगलामुखी अपने भक्तों के मन से भय को दूर कर शत्रुओं पर विजय दिलाती है. साथ ही मुकदमे में जीत हासिल करने के लिए मां बगलामुखी की उपासना अचूक मानी जाती है.
'ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्ववां कीलय, बुद्धि विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा'
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करने से माना जाता है कि मां बगलामुखी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सभी दुख और बाधाओं से मुक्त करती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)
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