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Astrology: शनि देव को प्रिय है यह राशि, जानिए किन जातकों पर पड़ती है शनि की कुदृष्टि

Kundali: वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव के जन्म कुंडली में अशुभ होने से व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिलता है. वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष स्थान है. मान्यता है कि शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यानी जो अच्छे कर्म करते हैं, गरीबों और कमजोरों को नहीं सताते हैं, उनको शनि देव अच्छे फल प्रदान करते हैं.
 

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Astrology: शनि देव को प्रिय है यह राशि, जानिए किन जातकों पर पड़ती है शनि की कुदृष्टि

नई दिल्लीः Kundali: वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव के जन्म कुंडली में अशुभ होने से व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिलता है. वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष स्थान है. मान्यता है कि शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यानी जो अच्छे कर्म करते हैं, गरीबों और कमजोरों को नहीं सताते हैं, उनको शनि देव अच्छे फल प्रदान करते हैं.

वहीं जो गरीबों और कमजोरों को सताते हैं, उनको शनि देव का कोप झेलना पड़ता है. शनि देव अगर कुंडली में नकारात्मक और अशुभ स्थिति में हों तो व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है और वह जीवनभर संघर्षों से घिरा रहता है.

तुला राशि में उच्च के होते हैं शनि
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि ग्रह बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं. आपको बता दें कि तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं. यहां शनि के उच्च होने से मतलब बलवान होने से है. यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाते हैं.

धैर्यवान और सफल होते हैं जातक
साथ ही इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है. यह व्यक्ति को धैर्यवान भी बनाते हैं. अगर कुंडली में शनि देव उच्च के या सकारात्मक स्थिति में हों तो व्यक्ति निरोगी रहता है और उसकी आयु पूर्ण होती है. शनि देव को आयु प्रदाता भी कहा जाता है.

तो नहीं मिलता है किस्मत का साथ
वहीं पीड़ित शनि व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों को पैदा करते हैं. यदि शनि मंगल ग्रह से पीड़ित हो तो यह जातकों के लिए दुर्घटना और कारावास जैसी परिस्थितियों का योग बनाते हैं. वहीं, कुंडली में शनि देव अशुभ होने पर व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिलता है और जिंदगी परेशानियों से घिरी रहती है. साथ ही कोई न कोई रोग उसे घेरे रहते हैं.

शनि कौन से भाव में शुभ फल देता है?
शनि को दूसरे, तीसरे और सातवें से बारहवें भाव में अच्छा माना जाता है, जबकि पहले, चौथे, पांचवें और छठे भाव में शनि को अशुभ माना जाता है. सूर्य, चंद्रमा और मंगल इसके शत्रु हैं. शुक्र, बुध और राहु मित्र हैं और बृहस्पति और केतु इसके लिए तटस्थ हैं. शनि सातवें भाव में उच्च का होता है और पहला भाव नीच का होता है.

मकर है शनि देव की प्रिय राशि
मकर राशि शनिदेव की प्रिय राशि होती है. मकर राशि के लोग काफी मेहनती और उत्साही स्वभाव के होते हैं.

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