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DNA Analysis: इस देश में अब नहीं दिखेंगे करेंसी नोट्स, सोने के सिक्कों में होगी खरीद-बिक्री? जानें क्यों लिया ये फैसला

Zimbabwe Gold Currency: Zimbabwe में अब आपको कागज के करेंसी नोट नहीं दिखाई देंगे. अब वहां पर सोने के सिक्कों में खरीद-बिक्री हुआ करेगी. आपको सरकार के इस फैसले की वजह भी जाननी चाहिए. 

DNA Analysis: इस देश में अब नहीं दिखेंगे करेंसी नोट्स, सोने के सिक्कों में होगी खरीद-बिक्री? जानें क्यों लिया ये फैसला
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Zee News Desk|Updated: Jul 28, 2022, 06:36 AM IST

Zimbabwe Gold Currency: Zimbabwe में अब कागज की करेंसी की जगह सोने के सिक्कों में लेन-देन होगा. Zimbabwe की सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया है क्योंकि वहां महंगाई 192 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और डॉलर के मुकाबले Zimbabwe की करेंसी लगातार टूट रही है.

मौजूदा साल में ही Zimbabwe की करेंसी डॉलर के मुकाबले 72 प्रतिशत तक कमजोर हो चुकी है. ये स्थिति कोई एक साल में नहीं बनी बल्कि वर्ष 2008 के बाद से ही Zimbabwe आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसकी करेंसी डॉलर के मुकाबले लगातार गिरी है. इससे Zimbabwe के लोगों को ये लग रहा है कि अगर उनके देश की करेंसी ऐसे ही गिरती रही तो एक दिन ऐसा आएगा, जब उनकी सारी जमा पूंजी कागज का टुकड़ा बन जाएगी. इसलिए इन लोगों ने अमेरिका की करेंसी यानी डॉलर खरीदने शुरू कर दिए.

अपनी करेंसी की जगह अमेरिकी डॉलर खरीदने की होड़

यानी Zimbabwe की करेंसी की जगह ये लोग अमेरिका की करेंसी डॉलर खरीदने लगे. ऐसा इन लोगों ने इसलिए किया क्योंकि डॉलर पूरी दुनिया में लगातार मजबूत हो रहा है और डॉलर का भविष्य सुनहरा और सुरक्षित है. अगर भविष्य में Zimbabwe में आर्थिक हालात ज्यादा खराब होते भी हैं तो भी इससे लोगों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा क्योंकि उनके पास डॉलर में जमा पूंजी होगी, जिसकी कीमत संकट की स्थिति में भी कम नहीं होगी.

यही वजह है कि पिछले कुछ समय से वहां लेन-देन भी डॉलर में हो रहा है और सरकारी कर्मचारी जैसे टीचर और दूसरे लोग भी अपनी सैलरी डॉलर में ही मांग रहे हैं. इसकी वजह से डॉलर की मांग बढ़ गई है और Zimbabwe की करेंसी लगातार कमजोर हो रही है. Zimbabwe की सरकार ने इसी ट्रेंड को रोकने के लिए कागज की करेंसी की जगह सोने के सिक्कों में लेन-देन करने का ऐलान किया है.

जिम्बाब्वे में अब चलेगी गोल्ड करेंसी

Zimbabwe के केंद्रीय बैंक ने ऐलान किया है कि अब देश में लोगों को सोने के सिक्के बेचे जा सकेंगे. इन सिक्कों से दुकानों पर खरीदारी भी की जा सकेगी. यानी लोग बैंकों में जाकर कागज की करेंसी के बदले में सोने के सिक्के ले सकेंगे और ये सोने के सिक्के वहां की असली करेंसी बन जाएंगे.

Zimbabwe इस तरह का प्रयोग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. इसलिए अब ये बहस भी हो रही है क्या ये प्रयोग Zimbabwe को आर्थिक सुनामी से बचा पाएगा.

डेढ़ हजार साल पुराना है करेंसी नोट्स का इतिहास

आज लगे हाथ हम आपको करेंसी का इतिहास भी बता देते हैं. कागज की करेंसी का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. डेढ़ हज़ार ईसा पूर्व दुनिया में लेन-देन के लिए Barter System का इस्तेमाल होता था. यानी एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु दी जाती थी. जैसे आपको गेहूं चाहिए तो आप गेहूं लेकर उसके बदले में कपड़ा या चावल उस व्यक्ति को दे सकते थे. इसे Barter System कहा जाता था. 

इसके बाद 800 ईसा पूर्व दुनिया में लेन-देन के लिए धातु से बने सिक्कों का चलन शुरू हुआ. और फिर 500 ईसा पूर्व Punch Marked सिक्के जारी हुए. इन सिक्कों पर अलग अलग तरह की आकृतियां बनी होती थीं और लेन-देने के लिए इनका ही इस्तेमाल होता था. और फिर 2300 साल पहले सोने और चांदी के सिक्के चलन में आए और इनके ज़रिए लेन-देना होने लगा. लोग खरीददारी और व्यापार के लिए सोने और चांदी के सिक्कों का इस्तेमाल करने लगे. यानी कागज की करेंसी बहुत बाद में आई. 

क्या 2 हजार साल पीछे चला गया जिम्बाब्वे?

माना जाता है कि पहली बार 13वीं शताब्दी में कागज की करेंसी का इस्तेमाल हुआ. उस वक्त चीन में कागज की इस करेंसी को अपनाया गया था. हालांकि 15वीं शताब्दी तक आते आते चीन में भी कागज की करेंसी बन्द हो गई और वहां फिर से सोने और चांदी के सिक्कों में कारोबार होने लगा. इसके बाद 17वीं और 18वीं शताब्दी में जब पश्चिमी यूरोप के देशों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार काफी बढ़ गया तो वहां प्राइवेट बैंक विकसित हुए और कागज की करेंसी का चलन बढ़ गया. हालांकि आधुनिक युग में कागज की करेंसी को प्राइवेट बैंक नहीं बल्कि सरकारें जारी करती हैं. यानी आप कह सकते हैं कि आज Zimbabwe दो हजार साल पीछे चला गया है.

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