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Mauritania: इस मुल्क में तलाक होने पर अपनी 'आजादी' को सेलिब्रेट करती हैं महिलाएं, होती है शानदार ‘डाइवोर्स पार्टी’

Celebration Of Divorce: सदियों से, महिलाएं एक-दूसरे की तलाक पार्टियों में खाने, गाने और नाचने के लिए एक साथ शामिल होती ह हैं. हालांकि अब, पारंपरिक भोजन और संगीत के साथ केक, सेल्फी और सोशल मीडिया मोंटाज के साथ इस परंपरा का अपेडट किया जा रहा है.

प्रतीकात्मक फोटो
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Zee News Desk|Updated: Jun 05, 2023, 01:32 PM IST

West Africa: पश्चिम अफ्रीकी देश मॉरिटेनिया की गिनती यूं तो गरीब देशों में की जाती है लेकिन यहां एक ऐसी परंपरा है जो इस देश को बेहद ‘खास’ बना देती है. इस देश में ‘तलाक’ को दुख या कोई शर्मनाक घटना नहीं माना जाता, बल्कि तलाक को महिला की आजादी के तौर पर देखा जाता है और महिलाएं इसका जश्न मनाती हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक  सदियों से, महिलाएं एक-दूसरे की तलाक पार्टियों में खाने, गाने और नाचने के लिए एक साथ शामिल होती ह हैं. हालांकि अब, पारंपरिक भोजन और संगीत के साथ केक, सेल्फी और सोशल मीडिया मोंटाज के साथ इस परंपरा का अपेडट किया जा रहा है.

देश में कई बार तलाक लेना आम बात
मॉरिटेनिया में लगभग 100 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. इस रेगिस्तानी देश में कई बार तलाक लेना आम है. बहुत से लोग पांच से 10 शादियां करते हैं और कुछ तो 20 शादियों तक पहुंच जाते हैं.

कुछ विद्वानों का कहना है कि देश में तलाक की दर दुनिया में सबसे अधिक है, हालांकि मॉरिटानिया के आंकड़े बहुत कम विश्वसनीय हैं, क्योंकि तलाक के समझौते अक्सर मौखिक होते हैं, लिखित नहीं.

कई महिलाएं तलाक उन्हें स्वतंत्रता प्रदान करने वाले एक मौके के रूप में देखता है.  जो उन्होंने शादी से पहले या शादी के दौरान कभी नहीं सोचा था, खासकर पहली शादी.

पारंपरिक तरीक से होती है शादी
रिपोर्ट के मुताबिक मॉरिटेनिया में तलाक को लेकर इस तरह का नजरिया बेहद आधुनिक लग सकता है लेकिन यह पूरा सच नहीं है. महिलाओं को अपना पहला जीवन साथी चुनने के बहुत कम विकल्प मिलते हैं क्योंकि शादी से जुड़ी अधिकांश रस्में पूरी तरह पारंपरिक है. मसलन माता-पिता लड़कियों के लिए खुद दूल्हा चुनते हैं. बेटियों की शादी बहुत कम उम्र में कर देना आम बात है. देश की एक तिहाई से अधिक लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र तक हो जाती है.

तलाक के बाद किसी भी बच्चे की कस्टडी के लिए आमतौर पर महिलाओं को पुरुषों पर प्राथमिकता दी जाती है. हालांकि पुरुष अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिए भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार होते हैं, लेकिन इसका पालन बहुत कम होता है और महिलाओं को अक्सर वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है.

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