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‘भारत के खिलाफ नहीं होने दूंगा श्रीलंका का इस्तेमाल’, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की ‘चीन’ को दो टूक

Sri Lanka News: राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने जोर देकर कि इस श्रीलंका का चीन के साथ कोई सैन्य समझौता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘कोई सैन्य समझौता होगा भी नहीं….’

‘भारत के खिलाफ नहीं होने दूंगा श्रीलंका का इस्तेमाल’, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की ‘चीन’ को दो टूक
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Zee News Desk|Updated: Jun 28, 2023, 08:43 AM IST

India-Sri Lanka Relations: श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि उनके देश का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी धमकी या खतरे के लिए आधार (सैन्य अड्डे) के तौर पर नहीं करने दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि चीन के साथ कोई सैन्य समझौता नहीं करते हुए यह द्वीपीय देश ‘तटस्थ’ बना हुआ है.

विक्रमसिंघे ब्रिटेन और फ्रांस की सरकारी यात्रा पर हैं और उन्होंने सोमवार को फ्रांस की सरकारी मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में यह बात कही.

‘फ्रांस 24’ के साथ इंटरव्यू के दौरान विक्रमसिंघे ने कहा, ‘हम तटस्थ देश हैं लेकिन इस बात पर बल देते हैं कि हम श्रीलंका का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी धमकी के लिए आधार के तौर पर नहीं करने दे सकते हैं.’

चीन का कोई सैन्य आधार श्रीलंका में नहीं
श्रीलंका में चीन की सैन्य उपस्थिति की धारणा के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में राष्ट्रपति ने कहा कि चीनी ‘करीब 1500 साल से देश में हैं लेकिन अबतक कोई सैन्य आधार (अड्डा) नहीं है.’

विक्रमसिंघे ने दृढता के साथ कहा कि इस द्वीपीय देश का चीन के साथ कोई सैन्य समझौता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘कोई सैन्य समझौता होगा भी नहीं….’

हंबनटोटा पोत की सुरक्षा श्रीलंका सरकार के हाथ में
राष्ट्रपति ने कहा कि चीनियों द्वारा दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा के सैन्य इस्तेमाल का कोई मुद्दा ही नहीं है . इसे चीन ने 2017 में कर्जे के बदले 99 साल के पट्टे पर लिया था. उन्होंने आश्वासन दिया कि भले ही हंबनटोटा पोत को चीनी के व्यापारियों को दिया गया है लेकिन उसकी सुरक्षा का नियंत्रण श्रीलंका सरकार के हाथों में है.

विक्रमसिंघे ने कहा, ‘दक्षिणी नौसेना कमान को हंबनटोटा स्थानांतरित किया गया है और हमने हंबनटोटा के आसपास के क्षेत्र में एक ब्रिगेड को तैनात किया है.’

हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी से चिंतित भारत और अमेरिका
पिछले साल श्रीलंका ने चीनी बैलेस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह टोही जहाज युवआ वांग पांच को हंबनटोटा बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दी थी जिससे रणनीतिक हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर भारत एवं अमेरिका में चिंता पैदा हो गई थी.

भारत को इस बात की आशंका थी कि श्रीलंका बंदरगाह पर जाने के दौरान इस जहाज का टोही तंत्र भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी करने का प्रयास कर सकता है.

जब श्रीलंका ने 2014 में चीन की परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बी को अपने एक बंदरगाह पर ठहरने दिया था तब भारत और उसके (श्रीलंका) के रिश्ते में तनाव पैदा हो गया था.

(इनपुट – न्यूज एजेंसी: भाषा)

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