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फ्रांस में क्यों मची है उथल-पुथल, क्यों सड़कों पर लगे हैं कूढ़े के ढेर, क्या है विवाद?

France Disputed Pension Reform: विवाद के केंद्र में फ्रांस का पेंशन और वेलफेयर सिस्टम है. उदार सामाजिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से रिटायर्ड लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की अपने सिस्टम पर देश को लंबे समय से गर्व रहा है.हालांकि अब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इसमें बदलाव करना चाहते हैं. 

फ्रांस में क्यों मची है उथल-पुथल, क्यों सड़कों पर लगे हैं कूढ़े के ढेर, क्या है विवाद?
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Zee News Desk|Updated: Mar 28, 2023, 12:21 PM IST

France News: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के खिलाफ फ्रांस में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. ये सुधार गहरे विवादास्पद साबित हुए हैं, कुछ ने इन्हें फ्रांसीसी कल्याणकारी राज्य के लिए एक झटका के रूप में देखा है. व्यापक विरोध के साथ और मैक्रों की राजनीतिक स्थिति खतरे में पड़ गई. जानते हैं ये पूरा विवाद क्या है.

विवाद के केंद्र में फ्रांस का पेंशन और वेलफेयर सिस्टम है. उदार सामाजिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से रिटायर्ड लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की अपने सिस्टम पर देश को लंबे समय से गर्व रहा है.

हालांकि फ्रांस की पेंशन प्रणाली काफी जटिल भी बताई जाती है. यह आर्थिक क्षेत्रों के आधार पर 42 वर्गों में विभाजित है. राष्ट्रपति मैक्रों के सामने एक बड़ा सवाल यह भी है कि यह व्यवस्था बहुत महंगी भी है.

कई नेता कर चुके हैं बदलाव की कोशिश
कई फ्रांसीसी नेताओं ने सीमित सफलता के साथ देश की वेलफेयर सिस्टम में सुधार करने की कोशिश है. मैक्रों ने स्वयं 2019 में पेंशन व्यवस्था को सरल बनाने का प्रयास किया,  जिसका नतीजा यह हुआ है कि उन्हें 1968 के फ्रांस में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा.

मैक्रों का नवीनतम प्रयास भी समान रूप से विवादास्पद साबित हुआ है. मैक्रों के सुधार फ्रांस की रिटायरमेंट की आयु 62 से बढ़ाकर 64 कर देंगे और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए लाभ को कम कर देंगे.

विवादास्पद सुधार
सुधारों का ड्राफ्ट काफी विवादास्पद है, ठीक मैक्रों के शासन स्टाइल की तरह. अधिकांश फ्रांसीसी जनता द्वारा उन्हें अधीर, हठी और घमंडी के रूप में देखा जाता है. इस छवि को तब बल मिला जब उन्होंने संसद में बिना वोट के अपने सुधारों को आगे बढ़ाया.

हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों की बाढ़
प्रतिक्रिया में देश भर में हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई है. फ्रांस की शक्तिशाली यूनियनों ने मैक्रों के कदमों का विरोध किया है और सार्वजनिक क्षेत्र की कई यूनियनें हड़ताल पर चली गई हैं. इसके विरोध में एक लाख से अधिक प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं.

कई जगहों पर हुई हिंसा
कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया है. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है. पुलिस की कार्रवाई भी गंभीर रही है, जिसमें कई लोगों ने सुरक्षा बलों पर अत्यधिक बल प्रयोग करने का आरोप लगाया है.

कूड़े के ढेर
पेंशन सुधारों के विरोध में देश के कई शहरों, जैसे- पेरिस, नैनटेस, सेंट-ब्रीक और ले हावरे में कचरा संग्रहकर्ता हड़ताल पर हैं. इससे सड़कों पर कूड़े के ढेर लग गए हैं.

जनता सहानुभूति प्रदर्शनकारियों के साथ
कई सर्वेक्षणों से पता चलता है कि फ्रांसीसी जनता प्रदर्शनकारियों की चिंताओं के प्रति व्यापक रूप से सहानुभूति रखती है. हालांकि, इस विवादास्पद कदम ने मैक्रों की दबंग छवि को मजबूत किया है, और सुधारों को टालने से इनकार कर दिया है.

विरोध प्रदर्शनों का विदेश-नीति पर भी प्रभाव पड़ा है. ब्रिटेन के राजा चार्ल्स ने देश में अराजकता और विभाजन को देखते हुए फ्रांस की अपनी यात्रा रद्द कर दी.

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