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Niger Coup: पश्चिम के लिए इतना जरूरी क्यों है नाइजर, तख्तापलट ने उड़ाई यूरोप-अमेरिका की नींद

Niger Coup News: नाइजर के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को 26 जुलाई को उनकी सेना के सदस्यों ने एक तख्तापलट के बाद अपदस्थ कर दिया था और तब से वह राजधानी नियामी में राष्ट्रपति आवास में अपनी पत्नी और बेटे के साथ नजरबंद हैं.

Niger Coup: पश्चिम के लिए इतना जरूरी क्यों है नाइजर, तख्तापलट ने उड़ाई यूरोप-अमेरिका की नींद
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Zee News Desk|Updated: Aug 18, 2023, 03:13 PM IST

Niger News: मध्य अफ्रीकी देश नाइजर में हुए तख्तापलट को लेकर न सिर्फ पडोसी देश बल्कि पूरी दुनिया चिंतित है. पश्चिम अफ़्रीकी क्षेत्रीय ब्लॉक, ECOWAS के रक्षा प्रमुख, नाइजर के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को बहाल करने के अपने घोषित लक्ष्य में अगले कदमों पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को घाना में बैठक करने जा रहे हैं. यह बैठक गुरुवार को भी हुई थी. नाइजर में तख्तापलट के नेताओं ने पहले ही उन्हें बहाल करने या सैन्य हस्तक्षेप का सामना करने की समय सीमा को नजरअंदाज कर दिया है.

इससे पहले नाइजर के तख्तापलट सरकार ने कहा कि वह ‘उच्च राजद्रोह’ और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम पर मुकदमा चलाएंगे.

बजौम को 26 जुलाई को कर दिया सत्ता से बेदखल
नाइजर के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति बजौम को 26 जुलाई को उनकी सेना के सदस्यों ने एक तख्तापलट के बाद अपदस्थ कर दिया था और तब से वह राजधानी नियामी में राष्ट्रपति आवास में अपनी पत्नी और बेटे के साथ नजरबंद हैं.

नाइजर में चार बार हो चुका है तख्तापलट
नाइजर में सबसे पहला तख्तापलट 1974 में साहेल क्षेत्र में सूखे और अकाल की पृष्ठभूमि में हुआ था. उस प्राकृतिक आपदा की वजह से तत्कालीन सरकार के प्रति हताशा और निराशा थी जिसने सेना को सरकार को उखाड़ फेंकने का आधार दिया और यह दावा करने का मौका दिया कि वह विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी.

इसके बाद नाइजर में 1996, 1999 और 2010 में भी राजनीतिक संकट की वजह से तख्तापलट हुआ. राष्ट्रपति बजौम केवल दो साल से सत्ता में बन थे और 2021 के उनके निर्वाचन को भले ही चुनौती दी गई हो लेकिन मोटे तौर पर उसे स्वीकार किया.

पश्चिम के लिए नाइजर अहम क्यों?
नाइजर पश्चिमी देशों कई पश्चिमी देश डिप्लोमैटिक मिशन चला रहे थे. इसे पश्चिम अफ्रीका में पश्चिम देशों का एंट्री गेट कहा जाता था. पश्चिम के लिए इस देश अहमिय यूरेनियम की वजह से भी रही है. यहीं से फ्रांस और यूरोपीय यूनियन को यूरेनियम जाता है. यहां का 50% यूरेनियम फ्रांस के न्यूक्लियर प्लांट्स को चलाने के काम आता है.

इस देश में अमेरिका के करीब 1,100 और फ्रांस के 1500 सैनिक नाइजर में मौजूद हैं. इसी पश्चिम के लिए नाइजर की अहमियत का पता लगता है.

नाइजर में तख्तापलट को पश्चिम के लिए एक झटके रूप में देखा जा रहा है और रूस के बढ़ते प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है. रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ने इस तख्तापलट का समर्थन किया है. तख्तापलट के बाद रूसी झंडे लहराए गए थे.

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