trendingNow11556264
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

Idi Amin: मौत का सौदागर! ऐसा तानाशाह, जिसकी वजह से रातोरात जान बचाकर भागे थे सैकड़ों रईस हिंदुस्तानी

Dictator Idi Amine: 19वीं सदी के आखिर में युगांडा में ब्रिटेन का राज हो चुका था. नस्लवादी गोरे अंग्रेज, काले अफ्रीकी लोगों से मिलना पसंद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने एशियाई मूल के लोगों को बसाया, जिनमें भारतीय भी थे, उनका काम अंग्रेजों और अफ्रीका के लोगों के बीच संवाद स्थापित करना था, आगे बात यहीं से बिगड़ गई.

फाइल
Stop
Shwetank Ratnamber|Updated: Feb 03, 2023, 11:02 AM IST

Idi Amine hate Indians expulsion Uganda: युगांडा में 50 से 60 के दशक में हिंदुस्तानी कारोबारियों का जलवा था. युगांडा की पूरी अर्थव्यस्था ही इन अमीर हिंदुस्तानियों के दम पर चलती थी. शुरुआत में तो सब कुछ सही रहा. फिर एक दिन वहां ऐसा सनकी तानाशाह आया जिसके सिर पर हमेशा खून सवार रहता था. उस क्रूर शाषक का नाम था ईदी अमीन जिसे ये कतई पसंद नहीं था उसके देश में बाहरी यानी हिंदुस्तानी लोग परोक्ष रूप से सत्ता के समानांतर ताकतवर और रसूखदार हों.

अमीन ने मचाया कत्लेआम

ब्लड बाथ देखने के शौकीन अमीन ने न सिर्फ हिंदुस्तानियों को अपने देश से बाहर खदेड़ा, बल्कि उसने हिंदुस्तानियों की मदद करने वाले परिवारों का समूल खात्मा करवा दिया. अमीन का राज छिनने के बाद देश में सैकड़ों जगह सामूहिक कब्रें मिलीं. उनमें कई शवों को देखकर लोगों की रूह कांप गई.

दो जोड़ी कपड़ों और 5000 रुपए लेकर भागे करोड़पति हिंदुस्तानी

युगांडा के इस तानाशाह ईदी अमीन ने अपनी राज के दौरान भारतीय मूल के करीब 80 हजार लोगों को देश छोड़ने का फरमान सुनाया था. ये कुछ वैसा ही था जैसे कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ था. युगांडा की हर फैमिली चाहे वो कितनी ही रसूखदार क्यों न हो, उसे सिर्फ एक सूटकेस और पांच हजार रुपये ले जाने की इजाजत थी. ये सभी वो परिवार थे, जिनके पास करोड़ों-अरबों की प्रॉपर्टी थी, लेकिन जानबचाने के लिए उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा. 

भारतीयों के युगांडा में बसने की कहानी

मशहूर किताब 'स्टेट ऑफ ब्लड- द इनसाइड स्टोरी ऑफ ईदी अमीन' के मुताबिक अमीन की सत्ता छिनने के बाद वहां सामूहिक कब्रें मिलीं. उनमें मौजूश शवों में ज्यादातर के ऑर्गन्स गायब थे. ऐसा क्यों था, ये कोई नहीं जान पाया. लेकिन शक की सुई सनकी तानाशाह अमीन की ओर घूमी कि उसी के आदेश पर उसके कमांडरों ने इस बर्बरता को अंजाम दिया होगा. 

उस दौर में युगांडा में ब्रिटेन का राज था. नस्लवादी गोरे, काले अफ्रीकी लोगों से मिलना पसंद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने एशियाई मूल के लोगों को बसाया, जिनमें भारतीय भी थे, उनका काम अंग्रेजों और अफ्रीका के लोगों के बीच संवाद स्थापित करना था, आगे बात यहीं से बिगड़ गई. युगांडा को आजादी मिली तब हिंदुस्तानियों का बुरा वक्त शुरू हुआ.

कैसे बदला खेल?

युगांडा के मूल निवासियों और हिंदुस्तानियों की कड़वाहट चरम पर इसलिए पहुंच गई क्योंकि उन्हें लगता था कि आजादी मिलने के बाद भी उनकी हैसियत गुलामों वाली रही. तानाशाह ईदी अमीन ने इसी बात का फायदा उठाया. उसने अपने लोगों के मन में फैल रहे असंतोष और कुंठा को अपना हथियार बनाने के बाद भारतीयों को मुल्क से बेदखल कर दिया.

भारत की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं

Read More
{}{}