trendingNow11439853
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

India USA: 'अगले 20 सालों में रूस से बिगड़ेंगे रिलेशन, US बनेगा भारत का खास दोस्त': अमेरिकी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता का इंटरव्यू

India USA Relations: अमेरिका का कहना है कि आज भले ही भारत-रूस के संबंध मजबूत हों लेकिन 20 साल बाद ये ऐसे नहीं रहेंगे. उस दौर में भारत-अमेरिका के संबंध ज्यादा भरोसेमंद मजबूत हो जाएंगे. यह बात अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेड तरार ने ज़ी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कही है.

India USA: 'अगले 20 सालों में रूस से बिगड़ेंगे रिलेशन, US बनेगा भारत का खास दोस्त': अमेरिकी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता का इंटरव्यू
Stop
Bramh Prakash Dubey|Updated: Nov 13, 2022, 08:31 PM IST

USA State Department Spokesperson Jed Tarar Interview: दुनिया में विस्तारवादी चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए अमेरिका और भारत (India USA Relations) तेजी से नजदीक आ रहे हैं. आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका ने भारत का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले में वह भारत के साथ खड़ा है. पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में अमेरिका का कहना है कि उसके पाक के साथ रिलेशन जरूर हैं लेकिन वह भारत की तरह खास नहीं हैं. ज़ी न्यूज ने इस मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेड तरार (Jed Tarar) से इंडोनेशिया के बाली में स्पेशल इंटरव्यू किया है. 

इंडोनेशिया में होने जा रहा G20 का सम्मेलन

बाली में 15 नवंबर से G20 का सम्मेलन (G20 Summit) होने वाला है, जिसमें भाग लेने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत दुनिया के तमाम नेता पहुंच रहे हैं. 

अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा, 'भारत अमेरिका दोनों नजदीक आ रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि अगले 10- 20 सालों में रूस भारत का उस तरह से दोस्त रहेगा जिस तरह का अमेरिका है. चीन को रोकने के लिए भारत और अमेरिका क्वाड के जरिए मिलकर काम कर रहे हैं. अमेरिका इस बात को स्वीकार करता है कि यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करता है और आगे भी करेंगे.' 

'रूस ने युद्ध शुरू किया, उसे ही खत्म करना होगा'

सवाल: मुझे यह बताइए, अमेरिकी राष्ट्रपति भी जी 20 में शामिल होने पहुंच रहे हैं. जैसा मैंने बात की कि यह समिट ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन क्राइसिस भी चल रहा है. अमेरिका इस मंच को लेकर कैसे सोच रहा है. क्या कोई समाधान यहां से निकलेगा?

जवाब: देखिए अमेरिकी राष्ट्रपति बहुत बार इस बात को कह चुके हैं कि रूस ने बिना वजह इस युद्ध को शुरू किया है. बहाना तो बनाया है उन्होंने लेकिन सच्चाई यह है कि उसने अपने पड़ोसी देश पर हमला किया है. इसका तरीका यही है कि रूस जब अपने हमले बंद करेगा तभी युद्ध खत्म होगा यानी कि राष्ट्रपति बाइडेन का यह कहना है कि यदि यूक्रेन ने लड़ाई बंद की तो कल यूक्रेन खत्म हो जाएगा. अगर रूस ने लड़ाई खत्म की तो युद्ध खत्म होगा.

सच्चाई यही है कि हमें पूरी इंटरनेशनल कम्युनिटी के साथ दबाव रखना है. यहां समिट से हम पुतिन को एक पैगाम भेजें कि यह बर्दाश्त नहीं होगा कि आप बच्चों पर हमला कर रहे हैं. आप मिसाइल भेज रहे हैं जबकि सर्दी आने वाली है और हम नहीं समझते कि 21वीं सदी में यह जायज है.

'रूस-यूक्रेन में बातचीत बेहद मुश्किल'

सवाल: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस समिट में नहीं आ रहे हैं. जेलेंस्की साहब भी नहीं आ रहे हैं तो क्या सोचते हैं आप लोग यदि समिट में आमने-सामने बैठते तो ज्यादा जल्दी मसले का समाधान होता?

जवाब: इसका जो समाधान है वो यही है कि बातचीत से लड़ाई बंद होनी है लेकिन सच्चाई यही है कि इस दौरान जब आपके मिसाइल आ रहे हैं, बिजली नहीं चल रही है तो उस दौरान बातचीत बेहद मुश्किल है.

सवाल: रूस लगातार इस बात को लेकर सवाल उठाता रहा है कि यूक्रेन के पीछे तो युद्ध यूरोप और अमेरिका लड़ रहा है. इसको लेकर अमेरिका का क्या कहना है

जवाब: जो हम देख रहे हैं इस वक्त और आप भी टीवी पर देख सकते हैं कि जो यूक्रेनियन लोग हैं यानी कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर, लॉयर, टीचर वह तक हथियार उठाकर डिफेंस में लड़ रहे हैं.

हम इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि हम यूक्रेन को हथियार सप्लाई कर रहे हैं और करेंगे क्योंकि यदि हम उनको हथियार नहीं देंगे तो कल परसों रूस पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा लेकिन हम उनको जो हथियार दे रहे हैं वह सोच समझ कर दे रहे हैं. ये उस तरह के हथियार नहीं हैं जो कि सीधे मास्को तक पहुंच सकें.

'भारत और अमेरिका मिलकर कर रहे काम'

सवाल: भारत और अमेरिका आज कहां खड़े हैं दोनों देशों देशों में संबंधों को लेकर?

जवाब: जब आप अगले 10- 20 साल देखते हैं तो पूरे विश्व में आप यह देख सकते हैं कि दुनिया दो रास्ते पर चल रही है. एक तरफ लोकतांत्रिक देश हैं इसमें जाहिर तौर पर इंडिया शामिल है. G20  के देश हैं, G7 के देश हैं. जो लोकतांत्रिक देश हैं, जो हर दो-तीन साल में वोट डालते हैं जो उनके लीडर्स हैं वह अपने नागरिकों के लिए काम करते हैं. हम सबको मिलकर काम करना है. अगले 5, 10, 20 साल में और जितने भी बड़े-बड़े मसले हैं विश्व में. जैसे क्लाइमेट चेंज. महामारी से हम निकल चुके हैं. तो जितने भी ऐसे बड़े मसले हैं उन पर इंडिया अमेरिका बहुत नजदीकी से मिलकर काम कर रहे हैं.

सवाल: मेरा सवाल यह है अमेरिका का जिस तरह का रुख है. एक तरफ पाकिस्तान को मदद कर रहे हैं F 16 को लेकर आर्थिक मदद की जा रही है. दूसरी ओर भारत के साथ अमेरिका दोस्ती की बात करता है. सवाल यह है क्या भारत के साथ अमेरिका सिर्फ दोस्ती का दिखावा करता है.

जवाब: देखिए पाकिस्तान की जो हम F 16 को लेकर मदद कर रहे हैं जैसे कुछ पार्ट्स उसको बनाना है तो हम मदद कर रहे हैं. लेकिन भारत के साथ हमारे बहुत मजबूत संबंध हैं.

'पाकिस्तान की तुलना में भारत से विशेष संबंध'

सवाल: लेकिन सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को प्रायोजित करता है और अमेरिका पाकिस्तान की मदद करता है तो भारत के लोग अमेरिका पर भरोसा नहीं कर पाते.

जवाब: आतंकवाद के खिलाफ हमारा कड़ा रुख रहा है. इस बात में कोई शक नहीं होना चाहिए कि कहीं भी हम आतंक के खतरे को देखते हैं तो रिएक्ट करते हैं तो मेरा ख्याल है कि कोई भी यह कार्य नहीं कर सकता. हमारे राष्ट्रपति हमेशा कहते रहे हैं. जहां तक अमेरिका के साथ भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की तुलना की बात है तो देखिए इसमें कोई भी समानता नहीं है. भारत के साथ अमेरिका के बहुत क्लोज रिश्ते हैं.

जहां तक इंडिया और पाकिस्तान की बात है. आपको दूर से शायद यह लग सकता है लेकिन आप नजदीक से देखें तो कोई भी इस बात में कंपटीशन नहीं है. चाहे आप स्टूडेंट वीजा को देख लें या फिर कंपनियों के व्यापार को देखें. भारत के साथ अमेरिका का नजदीकी संबंध है.

दुनिया के सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश और सबसे पुराना देश भारत और अमेरिका हैं. दुनिया की किसी समस्या का मुकाबला हम अकेले नहीं कर सकते हैं. आप मिसाल के तौर पर कोविड की वैक्सिंग को ले लें तो हम मिलकर काम कर रहे हैं.

चीन के रुख को लेकर सवाल

सवाल: चीन जिस तरह से भारत के साथ सीमा पर रुख अपनाए हुए हैं. भारतीय विदेश मंत्री भी इस बात को कई बार कहते रहे हैं कि अमेरिका और यूरोपियन कंट्रीज का जो रुख है एशिया में, वह अलग रहता है इसको लेकर अमेरिका की क्या सोच है? 

जवाब: पहली बात तो यह है कि हमें चीन को लेकर जिस तरह की भी भारत को मदद करनी है, उनसे पूछ कर मदद करनी है. हम यह तो नहीं कर सकते कि चीन के खिलाफ ऐसी कोई आक्रामक तौर पर राजनीति करें. ये हल नही है. हम इंडिया के साथ बहुत करीबी तौर पर काम कर रहे हैं.

सवाल: क्वाड को लेकर सवाल यह है क्या इसके सहारे भारत और अमेरिका और नजदीक आएंगे.

जवाब: इंडो पेसिफिक को एक खुला और आजाद एक एरिया रखना है हमें तो नेविगेशन को हमें सुरक्षित रखना ही होगा. यही क्वाड का असल मकसद है. इसका मकसद यह नहीं कि हमें चीन को नीचे रखना है. हम चाहते हैं कि जो अंतरराष्ट्रीय सिस्टम बना हुआ है, वह बना रहे.

'चीन से निपटने के लिए लोकतांत्रिक देशों से सहयोग'

सवाल: मेरा सवाल यह है कि चीन का जिस तरह का रुख रहा है. खासतौर से आप ताइवान को लेकर चीन का रुख देख लीजिए. भारत के साथ उसका रुख देख लीजिए. तो सवाल यह है कि लगता नहीं कि चीन का जो रवैया है वह उस तरह का नहीं है कि वह इंटरनेशनल रूल्स रेगुलेशंस का पालन करे.

जवाब: देखिए यह मसला तो है. तभी तो हमारे राष्ट्रपति जो बाइडेन बार बार कह चुके हैं कि हमें लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर काम करना है और और इसमें रूस भी शामिल है. उन्होंने भी युद्ध किया है तो हमें उनसे भी यह कहना है कि युद्ध बर्दाश्त नहीं होगा.

सवाल: भारत और अमेरिका के रिश्ते की बात करें तो किस तरह का फ्यूचर देखते हैं. क्या आपको लगता है भारत के साथ अभी भी रिश्ते उतने ही बेहतर होंगे क्योंकि भारत और रूस अपने संबंधों को मेनटेन किए हुए हैं और अमेरिका के साथ भी भारत के रिश्ते उसी तरह के हैं.

जवाब: रूस की बात है तो उन्होंने युद्ध शुरू किया. गैस की सप्लाई भी बाधित की हुई है. मुझे नहीं लगता कि रूस ऐसा पार्टनर देश है जैसा अमेरिका है क्योंकि हमारे भारत के साथ दोस्ती की बुनियाद लोकतंत्र है. हमारे राष्ट्रपति जो बाइडेन बार-बार कह रहे हैं कि हमें लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर काम करना है. हमें चीन को एक मैसेज देना है कि हम रूल वेस्ड व्यवस्था को बर्बाद नहीं कर सकते. भारत और अमेरिका दोनों एक ही रास्ते पर हैं दोनों का भविष्य अच्छा है.

(ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर) 

Read More
{}{}