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First Trilateral Summit: चीन-रूस- उत्तर कोरिया की खेमेबंदी पर नजर, US पहली बार इन 2 मित्र देशों के साथ करेगा त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन

USA Latest News: दुनिया में चीन-रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती चुनौती को देखते हुए अमेरिका भी अपने मित्र देशों के साथ सामरिक खेमेबंदी को मजबूत कर रहा है. अब वह अपने 2 करीबी देशों के साथ पहली बार त्रिपक्षीय सम्मेलन करने जा रहा है.   

First Trilateral Summit: चीन-रूस- उत्तर कोरिया की खेमेबंदी पर नजर, US पहली बार इन 2 मित्र देशों के साथ करेगा त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन
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Devinder Kumar|Updated: Aug 02, 2023, 05:45 AM IST

US to hold first trilateral summit with Japan and South Korea: दुनिया में चीन, रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती खेमेबंदी को देखते हुए अमेरिका भी अपने गुट को मजबूत करने में जुटा हुआ है. अब वह दक्षिण कोरिया और जापान के साथ पहला त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन करने जा रहा है. यह सम्मेलन 18 अगस्त को आयोजित किया जाएगा. इसके मेन एजेंडे के रूप में उत्तर कोरिया के बढ़ते खतरे पर फोकस किया जाएगा. 

अमेरिका में होगा त्रिपक्षीय सम्मेलन

व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापानी पीएम फुमियो किशिदा और दक्षिण कोरियाई नेता यूं सुक-येओल की मेजबानी करेंगे. व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि यह शिखर सम्मेलन मैरीलैंड के कैंप डेविड प्रेसिडेंशियल रिट्रीट में आयोजित किया जाएगा क्योंकि तीनों नेता "इंडो-पैसिफिक और उससे आगे" त्रिपक्षीय सहयोग का विस्तार करना चाहते हैं.

इन मुद्दों पर होगी बात

द जापान टाइम्स के अनुसार, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने एक बयान में कहा, " यह शिखर सम्मेलन वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक साझा त्रिपक्षीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा. इससे पहले, तीनों नेता अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के मौके पर कई बार संयुक्त बैठकें कर चुके हैं की हैं, लेकिन कभी औपचारिक त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित नहीं किया है.

साझा बयान होगा जारी

इस शिखर सम्मेलन में तीनों देशों द्वारा उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों और परमाणु हमले की धमकी की निंदा करते हुए एक संयुक्त बयान जारी करने की भी संभावना है, इसके साथ ही उत्तर कोरिया से लंबे समय से रुकी हुई परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता पर लौटने का भी आह्वान किया जाएगा. 

पिछले महीने दागी कई मिसाइलें

उत्तर कोरिया के साथ अब तक हुई सभी वार्ता असफल रही हैं. उसने सितंबर में एक कानून पारित किया जो उसकी परमाणु स्थिति को अपरिवर्तनीय बनाता है और उसके शस्त्रागार को छोड़ने पर किसी भी बातचीत पर रोक लगाता है. उत्तर कोरिया ने इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की अवहेलना करते हुए ठोस ईंधन से चलने वाली ह्वासोंग -18 सहित कई मिसाइलें दागीं. 

शांति के लिए उत्तर कोरिया बड़ा खतरा

पिछले साल से प्योंगयांग अब तक 100 से अधिक मिसाइल परीक्षण कर चुका है. इस हालात ने जापान-दक्षिण कोरिया के द्विपक्षीय संबंधों को और करीब लाने में मदद की है, क्योंकि वे युद्ध के समय असहमति को लेकर कई वर्षों तक रिश्तों में खटास के बाद अपने पारस्परिक सहयोगी अमेरिका सहित सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग करना चाहते हैं. जापान ने शुक्रवार को जारी अपने वार्षिक रक्षा श्वेत पत्र में उत्तर कोरिया को "एक गंभीर और आसन्न खतरा" करार दिया है. 

(एजेंसी एएनआई)

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