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तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन बोले, ‘पुतिन की मेजबानी के लिए तैयार’, काला सागर अनाज समझौते पर किया बड़ा दावा

Black Sea Grain Agreement: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने यूक्रेन के अनाज निर्यात को रोक दिया था. इससे वैश्विक खाद्य संकट की आशंका पैदा हो गई थी. काला सागर अनाज समझौते पर यूक्रेन ने युद्ध के पांच महीने बाद हस्ताक्षर किए गए थे. यह सोमवार को समाप्त होने वाला है. 

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन बोले, ‘पुतिन की मेजबानी के लिए तैयार’,  काला सागर अनाज समझौते पर किया बड़ा दावा
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Zee News Desk|Updated: Jul 15, 2023, 03:13 PM IST

Black Sea Grain Agreement News: तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन कई मुद्दों पर बातचीत के लिए अगले महीने अंकारा में अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी करने के लिए तैयार हैं. एर्दोगन ने यह भी दावा किया कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से काला सागर अनाज समझौते पर बात की है और वह इस डील को आगे बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं.

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने यूक्रेन के अनाज निर्यात को रोक दिया था. इससे वैश्विक खाद्य संकट की आशंका पैदा हो गई थी. काला सागर अनाज समझौते पर यूक्रेन ने युद्ध के पांच महीने बाद हस्ताक्षर किए गए थे. यह सोमवार को समाप्त होने वाला है. पुतिन ने बार-बार धमकी दी है कि रूस इसका नवीनीकरण नहीं करेगा.

एर्दोआन ने कहा, ‘हम अगस्त में पुतिन का स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं और हम काला सागर अनाज गलियारे के विस्तार पर सहमत हैं.’

यूएन महासचिव ने लिखा पुतिन को पत्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस सप्ताह समझौते के विस्तार के बारे में पुतिन को एक पत्र भेजा. महासचिव ने रूस को उसके उर्वरकों के निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करने का समर्थन किया है. मॉस्को ने शिकायत की है कि रूस के अपने निर्यात में बाधाएं दूर नहीं की गई हैं.

एर्दोगन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है, ‘इस पत्र के साथ हम अपने और रूस के संयुक्त प्रयासों से अनाज गलियारे का विस्तार सुनिश्चित करेंगे.’

संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से हुआ था समझौता
रूस और यूक्रेन के बीच समझौते में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से हुई थी. इस समझौते से अब तक यूक्रेन को काला सागर में तैनात रूसी युद्धपोतों के पार 32 मिलियन टन से अधिक अनाज भेजने की अनुमति मिल गई है.

अनाज का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीकी महाद्वीप, पश्चिम एशिया और अन्य जगहों के विकासशील देशों में लोगों को खिलाने के लिए चला गया है. यदि सौदा आगे नहीं बढ़ाया गया और निर्यात फिर से अवरुद्ध हो गया, तो खाद्य कीमतें बढ़ सकती हैं.

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